Wednesday, 24 January 2018

Ego:

हाँ ठीक है मैं अपनी अना(ego) का मरीज़ हूँ

आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
💐🌹💐
मत इतरा इतना, अपनी खामोशी  पर
ए दोस्त,,,

हम न होंगे, तो ये खामोशी तेरे किस
काम की!
💐🌹💐
न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है

तमाम उम्र मुसाफ़िर सफ़र में रहता है
💐🌹💐
"मुट्ठी दुआओं की मां ने चुपके से सिर पर छोड़ दी...

और मैं नासमझ मुकद्दर का अहसान मानता रहा....
💃💃💃
बैठाकर यार को पहलू में रात भर ग़ालिब

जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते
💐🌹💐
*मुझको क्या हक, मैं किसी को मतलबी कहूँ..*

*मै खुद ही ख़ुदा को, मुसीबत में याद करता हूँ !*
💐🌹💐
तेरी खुशबू से जो वाकिफ़ नहीँ हैं

वो फूलों की ग़ुलामी कर रहे हैं
🌹💐🌹

No comments:

Post a Comment

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...