Saturday, 14 October 2017

New beginning:

कितनी शक्लों में मिले मुझको सताने वाले,

ख़ूब घुल मिल के मिले मुझको मिटाने वाले

🌺🌷🌺
आज बड़ी देर तक वो मुझे देखता रहा ,

ना जाने क्यूँ लगा कि वो मुझे छोड़ जाएगा
🌾🌺
गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है

वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है
🌾🌺🌾
किस सोच में हैं आइने को आप देख कर

मेरी तरफ़ तो देखिए सरकार क्या हुआ
🍂🌺🌺🍂
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है

क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
🍂🌷🍂
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,

मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा

🌾🌹🌾
इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप

शहर वालों से हमारी दुश्मनी बढ़ जाएगी
🍂🌸🍂
किया करते थे बातें ज़िंदगी-भर साथ देने की

मगर ये हौसला हम में जुदा होने से पहले था
🎋🌹🎋
रहे न कुछ मलाल बड़ी शिद्दत से कीजिये...

नफरत भी कीजिये तो ज़रा मोहब्बत से कीजिये..!
🎋🌹🎋
कितने मसरूफ हैं हम जिंदगी के कशमकश में,

इबादत भी जल्दी में करते हैं, फिर से गुनाह करने के लिए

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