Friday, 14 April 2017

उधर की जिंदगी:

उधार की ज़िन्दगी जीतें हैं...

तेर प्यार की किश्तें अब भी बाकी हैं..
🌺🙏🏻🌺
हो न जब तक शिकार-ए-नाकामी

आदमी काम का नहीं होता
🙏🏻🌷🙏🏻
सब से हटकर ही मनाना है उसे

हम से एक बार वो रूठे तो सही
🌷🙏🏻🌷
फक़त पास बैठना चाहता है

अजब दिल की तश्नगी है
🙏🏻🌷🙏🏻
साँसों का टूट जाना तो आम सी बात है 'फराज़',

जहां अपने जुदा हो जाए मौत उस को कहते है !
🌷🙏🏻🌷
"पाल पर हवा न आ रही हो, तो चप्पू चलाएँ। "
🌷🙏🏻🌷
"शुरूआत करने का तरीका है कि मुंह बंद करें और काम में लगें। "
🌺🙏🏻🌺
उसकी याद आई है साँसों ज़रा धीरे चलो धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता है!
🌷🙏🏻🌷
मैं हर लम्हे मे सदियाँ देखता हूँ तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है
🙏🏻🌷🙏🏻
जब कोई आपके बिना खुश है
तो उन्हे फिर बस खुश रहने दो
🙏🏻🌷🙏🏻
बिना कसूर के सजा मिली है
तकलीफ तो होगी ही ना
🙏🏻🌷🙏🏻
कोई भी वह व्यक्ति नहीं है जिससे मुझको प्यार नहीं
सब अपने जैसे लगते हैं पर कोई अधिकार नहीं
धर्म विभेद न छूते मन को जाती पाति स्वीकार नहीं
मानव मानव को जो बांटे वह गुण अंगीकार नहीं
जो मन में है व बाहर है अभिनय का विस्तार नहीं
जीत हमारी जीत नहीं है हार तुम्हारी हार नहीं है

पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है,
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है ।
🙏🏻🌷🙏🏻
मैं चुप रहा और गलतफहमियां बढती गयी,
उसने वो भी सुना जो मैंने कहा ही नहीं…
🌷🙏🏻🌷
साँसों का रुकना तो आम  है

अपने ही साथ छोड़ दे मौत उसे कहते हैं
🙏🏻🌷🙏🏻

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