:रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो
“कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों”
🌷🙏🏻🌷
~दुष्यंत कुमार
तौर-ए-जिंदगी यूं ना बनालो
की
अपनी जिंदगी को औरों के दर पे डालो।
🌷🙏🏻🌷
खोते हैं अगर जान तो खो लेने दे
ऐसे में जो हो जाए वो हो लेने दे
एक उम्र पड़ी हैं सब्र भी कर लेंगे
इस वक़्त तो जी भर के रो लेने दे
🌷🙏🏻🌷
मेरे घर के तमाम दरवाज़े
तुम से करते हैं प्यार आ जाओ
🙏🏻🌷🙏🏻
फ़ज़ा में कैसी उदासी है क्या कहा जाए
अजीब शाम ये गुज़री है क्या कहा जाए
🌷🙏🏻🌷
कभी क़रीब कभी दूर हो के रोते हैं
मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते हैं
🙏🏻🌷🙏🏻
अहसान रहा
इलज़ाम
लगाने वालो का
मुझ पर...
उठती
ऊँगलियों ने
मुझे
मशहूर
कर दिया..!
🌷🙏🏻🌷
No comments:
Post a Comment