Wednesday, 19 April 2017

देखो फ़लक ने एक शाम खरीदी है}:

क्षितिज की जेब में डाल सूरज का सिक्का...

देखो, फ़लक ने एक शाम खरीदी है :
🌷👌🏻🌷
वक़्त गुज़रा जो बे-ख़याली में
वो तेरे ही ख़याल में गुज़रा

एक लम्हे में कितने साल कटे
एक लम्हा भी साल में गुज़रा
🌷👍🏻🌷
जिन्दगी कट रहि है उनके बगैर,

पर मजा वो नही जो पहले था।
🙏🏻🌷🙏🏻
ऐब भी बहुत हैं मुझमें, और खूबियाँ भी...

ढूँढने वाले तू सोच, तुझे क्या चाहिए मुझमें
🙏🏻🌷🙏🏻
पा कर भी तो नींद उड़ गई थी
खो कर भी तो रत-जगे मिले हैं

जब तेरा जमाल ढूँडते थे
अब तेरा ख़याल ढूँडते हैं
🙏🏻🌷🙏🏻
दिल अगर है तो दर्द भी होगा
इस का कोई नहीं है हल शायद

राख को भी कुरेद कर देखो
अभी जलता हो कोई पल शायद
🙏🏻🌷🙏🏻
बेहतर दिनों की आस लगाते हुए 'हबीब'

हम बेहतरीन दिन भी गँवाते चले गए
🌷🙏🏻🌷
हुजूम देख के रास्ता नहीं बदलते हम

किसी के डर से तकाज़ा नहीं बदलते हम
🙏🏻🌷🙏🏻

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