Saturday, 25 April 2015

जब तक आप चाहें नकारात्मक बिचार आप के अंदर नहीं आ सकते:


मैं आपसे शादी करना चाहती
हूँ"-एक विदेशी महिला ने विवेकानंद से
कहा
विवेकानंद ने पूछा-"क्यों देवी पर मैं तो ब्रह्मचारी हूँ?"
महिला ने जवाब दिया-"क्योंकि मुझे आपके जैसा ही एक पुत्र
चाहिए,
जो पूरी दुनिया में मेरा नाम रौशन करे और वो केवल आपसे शादी
करके
ही मिल सकता है मुझे"
"इसका और एक उपाय है"-विवेकानंद कहते हैं
विदेशी महिला पूछती है-"क्या?"
विवेकानंद ने मुस्कुराते हुए कहा-"आप मुझे ही अपना पुत्र मान
लीजिये
और आप मेरी माँ बन जाइए ऐसे में आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल
जाएगा और मुझे अपना ब्रह्मचर्य भी नही तोड़ना पड़ेगा"
महिला हतप्रभ होकर विवेकानंद को ताकने लगी और रोने लग गयी,
ये होती है महान आत्माओ की विचार धारा ।

"पूरे  समुंद्र  का  पानी  भी एक  जहाज  को  नहीं डुबा  सकता,  जब  तक पानी को जहाज  अन्दर  न आने दे।
            
इसी  तरह  दुनिया  का कोई  भी  नकारात्मक विचार  आपको  नीचे नहीं  गिरा  सकता,  जब तक  आप  उसे  अपने अंदर  आने  की  अनुमति न  दें।"

अपनी छवि अछी बनाओ:

यह महत्वपूर्ण नहीं कि आपकी नजरों में समाज की छवि क्या है अपितु यह जरूर महत्वपूर्ण है कि समाज की नजरों में आपकी छवि क्या है। जहाँ एक सज्जन व्यक्ति समाज के लिए ईश्वर का वरदान स्वरुप है, वही एक दुर्जन व्यक्ति किसी अभिशाप से कम नहीं।
       आचार्य चाणक्य बिना किसी संकोच के स्पष्ट कह रहे हैं कि साँप एक दुष्ट और क्रूर प्रकृति वाला जीव है मगर साँप से भी खतरनाक एक बुरे स्वभाव वाला मनुष्य यानि दुर्जन है। क्योंकि सर्प तो संयोगवश अवसर आ जाने पर काटता (डंसता) है मगर दुर्जन व्यक्ति तो पग- पग पर कारण- अकारण डंसता ही रहता है।
       कड़वे शब्द ही दुर्जन का जहर है और यह जहर जिसके मुँह में घुलने लगता है वह मनुष्य अपना और अपने संसर्ग में आने वालों का जीवन नरक तुल्य बना देता है। अत: मीठा बोलने का प्रयास करो, कड़वा वोलने से रिश्तों में कटुता आ जाती है। रोग सिर्फ मीठा खाने से होता है, मीठा बोलने से नहीं।
     
            

Thursday, 23 April 2015

It is all about interpretation:

A pregnant mother asked her daughter, “What do u want- A brother or a sister?“

Daughter:- Brother

Mother:- Like whom?

Daughter:- Like RAVAN

Mother:- What the hell are you saying? Are you out of your mind?

Daughter:- Why not Mom? He left all his Royalship &
Kingdom, all because his sister was disrespected.
Even after picking up his enemy’s wife, he didn’t ever touch her. Why wouldn’t I want to have a brother like him?
What would I do with a brother like Ram who left his pregnant wife after listening to a “Dhobi” though his wife always stood by his side like a shadow? After giving “Agni Pareeksha” & suffering 14 years of exile.
Mom, you being a wife & sister to someone, until when will you keep on asking for a “RAM” as your son???

Mother was in tears.

Moral:- No one in the world is good or bad. Its just an interpretation about someone. Change Ur perception
Irony of life :

A temple is a very interesting place - The poor beg outside & the rich beg inside...

Wednesday, 22 April 2015

भूलना भी एक कला है:

जीवन में सुख-दुःख का चक्र चलता रहता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बड़ी से बड़ी विपदा को भी हँसकर झेल जाते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो एक दुःख से ही इतने टूट जाते हैं कि पूरे जीवन उस दुःख से मुक्त नहीं हो पाते हैं और हमेशा अपने दुःख को सीने से लगाये घूमते रहते हैं।
��     जबकि हकीकत यह है कि जो बीत गया सो बीत गया। जो चला गया, अब उसमे तो कुछ नहीं किया जा सकता पर इतना जरूर है कि उसे भुलाकर अपने भविष्य को एक नई दिशा के बारे में तो सोचा ही जा सकता है। 
��     हम बच्चों को बहुत सारी बातें सिखाते हैं मगर उनसे कुछ भी नहीं सीखते। बच्चों से चीजों को भूलने की कला हमको सीखनी चाहिए। हम बच्चों पर गुस्सा करते हैं, उन्हें डांटते भी है लेकिन बच्चे थोड़ी देर बाद उस बुरे अनुभव को भूल जाते हैं। उनके जेहन में दूर-दूर तक हमें कहीं भी नाराजगी दिखाई नहीं पड़ेगी। कुछ बातों को भूल जाने में ही भलाई है।

            

पूण्य का काम करें:

मैं "किसी से" बेहतर करुं
                क्या फर्क पड़ता है..!
मै "किसी का" बेहतर करूं
                बहुत फर्क पड़ता है ll

एक काफिला सफ़र के दौरान अँधेरी सुरंग से गुजर रहा था । उनके पैरों में कंकरिया चुभी, कुछ लोगों ने इस ख्याल से कि किसी और को ना चुभ जाये, नेकी की खातिर उठाकर जेब में रख ली ।  कुछ ने ज्यादा उठाई कुछ ने कम । जब अँधेरी सुरंग से बाहर आये तो देखा वो हीरे थे। जिन्होंने कम उठाये वो पछताए कि ज्यादा क्यों नहीं उठाए । जिन्होंने नहीं उठाए वो और पछताए । दुनिया में जिन्दगी की मिसाल इस अँधेरी सुरंग जैसी है और नेकी यहाँ कंकरियों की मानिंद है । इस जिंदगी में जो नेकी की वो आखिर में हीरे की तरह कीमती होगी और इन्सान तरसेगा कि और ज्यादा क्यों ना की।
जब किस्मत साथ न दे

उपाय
कई बार इंसान चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता और कई बार उसे बैठे बैठे मिल जाता है ये किस्मत का खेल है, कई बार जब किस्मत साथ न दे तो लोग गम में डूब जाते है किसी को ईश्वर तो किसी को ज्योतिषी याद आते है, कभी कभी जब किसी कि किस्मत साथ दे रही होती है तो हम अक्सर उसे अपनी योग्यता मान लेते हैं कई लोग समय का लाभ उठा लेते है तो कई ऊपर से नीचे आ जाते है।

मेरा कहने का अर्थ है इंसान का कभी न कभी वक्त के साथ किस्मत भी साथ देती है जब उसके पुण्य कर्म अच्छे होते है इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करो, अपने धर्म का पालन करो

किस्मत के बारे मे तो मे हर मनुष्य थोड़ी बहुत जानकारी रखता है, कहते हैं जब हम कड़े परिश्रम करने के बाद सफलता प्राप्त करते है तो वह हमारे कर्म है लेकिन जब हम बिना मेहनत के बावजूद सफलता प्राप्त करते हैं उसे किस्मत कहते है।

करे नई उर्जा का संचार
यदि आप अपने जीवन में कुछ परिवर्तन करना चाहते है तो ऐसा नियमित रूप से करेगे तो इससे आपके सितारे चमक उठेगे। ब्रह्म बेला में उठ कर इश्वर का नाम, ध्यान, योग और पूजा करने से अकस्मात् लाभ होता है।

1. सूर्योदय से पूर्व ब्रह्मा बेला में उठे, और अपने दोनों हांथो की हंथेली को रगरे और हंथेली को देख कर अपने मुंह पर फेरे, क्योंकि :- शास्त्रों में कहा गया है की
कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती । करमूले स्थिता गौरी, मंगलं करदर्शनम् ॥

हमारे हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, तथा हाथ के मूल मे सरस्वती का वास है अर्थात भगवान ने हमारे हाथों में इतनी ताकत दे रखी है, ज़िसके बल पर हम धन अर्थात लक्ष्मी अर्जित करतें हैं। जिसके बल पर हम विद्या सरस्वती प्राप्त करतें हैं।इतना ही नहीं सरस्वती तथा लक्ष्मी जो हम अर्जित करते हैं, उनका समन्वय स्थापित करने के लिए प्रभू स्वयं हाथ के मध्य में बैठे हैं। ऐसे में क्यों न सुबह अपनें हाथ के दर्शन कर प्रभू की दी हुई ताकत का अहसास करते हुए तथा प्रभू के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए दिन की अच्छी शुरूवात करें।

2.मल , मूत्र , दातुन (मंजन) , भोजन करते समय मौन ( शांत ) रहे

3- . योग और प्राणायाम को नियमित जीवनचर्या में शामिल करे ,ऐसा करने से शरीर हमेशा निरोग रहता है,

4. . प्रातः अपने माता पिता गुरुजनों और अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले, ऋषियों ने कहा है की जो भी माता बहन या भाई बंधू अपने घरों में रोज अपने से बड़ो या पति , सास -ससुर का रोज आशीर्वाद लेते है उनके घर में कभी अशांति नहीं आती है या कभी भी तलाक या महामरी नहीं हो टी है इशलिये अपने से बड़ो की इज्जत करें और उनका आशीर्वाद लें.

5 तिलक किये बिना और अपने सर को बिना ढके पूजा पाठ और पित्रकर्म या कोई भी शुभ कार्य न करें, जहाँ तक हो सके तिलक जरुर करें,

6. रोज नहा धोकर अपने शारीर को स्वक्ष करें , साफ वस्त्र पहने , गुरु और इश्वर का चिंतन करते हुए अपने काम को इश्वर की सेवा करते हुए करें, कुछ भी खाने पिने से पहले गाय, कुत्ता और कौवा का भोजन जरुर निकले, इश्को करने से आप के घर में अन्ना का भंडार हमेशा भरा रहेगा.
7.सोते समय अपना सिरहाना (सर ) पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है।उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होतीहै

8. कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें और न ही सोयें । इससे देह पीड़ा या सिर दर्द होता है ।

9. अपने घर में तुलशी का पौधा लगायें ,

10-घर में पोछा लगाते समय पानी में नमक या सेंधा नमक डाल लें । घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें ।

11-घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण ( शीशा ), टूटी चारपाई या बैड न रखें । इनमें दरिद्रता का वास होता है।

12-यदि घर में कोइ घडी ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें ।बंद घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को कम करती है ।

13-पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पश्‍चिम की ओर मुंह करके भोजन करने से रोग व उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है ।

14- परोपकार का पालन करें, असहाय , गरीब और पशुओं और पर्यावरण की रक्षा करें

15- अपने धर्मं की रक्षा करें, मानव समाज की रक्षा करें, अपने देश और जन्मभूमि की रक्षा करें ,

16-मन वाणी और कर्म से सदाचार का पालन करें .

17- प्यार ही जीवन है खुद भी जियो और दूसरों को भी जीन
����������������
Day World always say – Find good people & leave bad ones.
But lord Krishna says, Find the good in people and ignore the bad in them. Because No one is born perfect.

Saturday, 18 April 2015

"Excellence" is a desire from inside:

A German once visited a temple under
construction where he saw a sculptor making an idol of God...

Suddenly he noticed a similar idol lying nearby...
Surprised, he asked the sculptor, "Do you
need two statues of the same idol?"
"No," said the sculptor
without looking up, "We need only one, but the first one got damaged at the last stage..."

The gentleman
examined the idol and found no apparent damage...

"Where is the damage?" he asked.
"There is a scratch on the nose of the idol." said the sculptor, still
busy with his work....

"Where are you going to install the idol?"

The sculptor replied that it would be
installed on a
pillar twenty feet high...

"If the idol is that far who is going to know that there is a scratch on the nose?"
the gentleman asked.

The sculptor stopped work, looked up at the gentleman, smiled and said,

"I will know it..."

The desire to excel is exclusive of the fact whether someone else appreciates it or not....

"Excellence" is a
drive from inside, not outside....

Excellence is not for
someone else to notice but for your own satisfaction and efficiency.

Don't Climb a Mountain with an Intention that the World Should See You,
Climb the Mountain with the Intention to See the World .

समय का समान करो:

अपने काम को समय पर करने की आदत बनाओ क्योंकि आप घडी तो खरीद सकते हो मगर समय को नहीं। आप सिर्फ घड़ी को अपने हाथों में बाँध सकते हैं, वक्त को कदापि नहीं। वक़्त को कोई नहीं रोक पाया।
    घड़ी भले ही पीछे भी हो सकती है मगर वक्त पीछे नहीं हो सकता और घड़ी तो बंद भी हो जाती है मगर उससे समय चक्र नहीं बंद हो जाता। वक़्त का सम्मान ना करने वाले का एक दिन वक़्त भी सम्मान नहीं करता है।
     अतः याद रखना कि काम समय पर ही पूरा किया जाये क्योंकि घड़ी भले ही आपकी हो मगर वक्त अपनी चाल से चलता है किसी और की चाल से नहीं। दुनिया में कोई भी ऊँचे मुकाम पर पहुंचा है तो मेहनत और समय बद्धता के कारण। कोई भी कार्य हो उसकी पूरे होने की समय सीमा जरूर हो।
          
             

अच्छा काम दुनियां की परवाह नहीं करता:

ये दुनियाँ भी बड़ी अजीब है, सच को देखकर भी स्वीकार नहीं करती है और झूठ से सुनकर ही सहमत हो जाती है। यहाँ पर जब किसी के द्वारा कोई अच्छा काम किया जाता है, तो ये दुनियाँ  वाले कहते हैं कि , विश्वास ही नहीं होता कि उसने ये काम कैसे कर लिया?
     लेकिन अगर किसी पर गलत काम करने का आरोप लगाया जाता है तो यही लोग कहते हैं, हमें पूरा विश्वास है उसने ऐसा किया ही होगा। इस दुनियाँ की समस्या मात्र यह नहीं है, कि यह अच्छा काम नहीं करती अपितु यह भी है, कि यह अच्छे को स्वीकार करने का साहस भी नहीं रखती।
     इसलिए अगर आप दुनियाँ की परवाह करोगे तो आप से अच्छे काम नहीं हो पाएंगे मगर यदि आपको अच्छे काम करने ही हैं तो फिर आपको दुनियां की परवाह तो छोड़नी ही पड़ेगी।

               


Wednesday, 8 April 2015

JUDGE YOURSELF !!!

Once upon a time there was a painter who had just completed his course. He took 3 days and painted beautiful scenery. He wanted people's opinion about his caliber and painting skills. He put his creation at a busy street-crossing. And just down below aboard which read -"I have painted this piece. Since I'm new to this profession I might have committed some mistakes in my strokes etc. Please put a cross wherever you see a mistake."
While he came back in the evening to collect his painting he was completely shattered to see that whole canvass was filled with Xs(crosses) and some people had even written their comments on the painting. Disheartened and broken completely he ran to his master's place and burst into tears.This young artist was breathing heavily and master heard him saying"I'm useless and if this is what I have learnt to paint I'm not worth becoming a painter. People have rejected me completely. I feel like dying"
Master smiled and suggested "My Son, I will prove that you are a greatartist and have learnt a flawless painting. Do as I say without questioning it. It WILL work."
Young artist reluctantly agreed and two days later early morning he presented a replica of his earlier painting to his master. Master took that gracefully and smiled.
"Come with me." master said.
They reached the same street-square early morning and displayed the same painting exactly at the same place. Now master took out another board which read -"Gentlemen, I have painted this piece. Since I'm new to this profession I might have committed some mistakes in my strokes etc. I have put a box with colors and brushes just below. Please do a favor. If you see a mistake, kindly pick up the brush and correct it." Master and disciple walked back home.
They both visited the place same evening. Young painter was surprised to see that actually there was not a single correction done so far. Next day again they visited and found painting remained untouched. They say the painting was kept there for a month for no correction came in!
Moral of the story :
It is easier to criticize, but DIFFICULT TO IMPROVE ! So don't get carried away or judge yourself by someone else’s criticism and feel depressed...
JUDGE YOURSELF ! YOU ARE YOUR BEST JUDGE !!! 

Gossip is a relationship destroyer

“If you propose to speak, always ask yourself, is it true, is it necessary, is it kind” –Buddha
In ancient Greece, Socrates was reputed to hold knowledge in high esteem.
One day an acquaintance met the great philosopher and said, “Do you know what I just heard about your friend?” “Hold on a minute”, Socrates replied. “Before telling me anything I’d like you to pass a little test. It’s called the Triple Filter Test.”
“Triple filter?” “That’s right”, Socrates continued. “Before you talk to me about my friend, it might be a good idea to take a moment and filter what you’re going to say. That’s why I call it the triple filter test.
The first filter is Truth. Have you made absolutely sure that what you are about to tell me is true?” “No,” the man said, “Actually I just heard about it and …”
“All right”, said Socrates. “So you don’t really know if it’s true or not. Now let’s try the second filter, the filter of Goodness. Is what you are about to tell me about my friend something good?” “No, on the contrary.”
“So”, Socrates continued, “you want to tell me something bad about him, but you’re not certain it’s true. You may still pass the test though, because there’s one filter left: The filter of Usefulness. Is what you want to tell me about my friend going to be useful to me?” “No, not really.”
“Well”, concluded Socrates, “if what you want to tell me is neither true nor good nor even useful, why tell it to me at all?”
It is just as cowardly to judge an absent person as it is wicked to strike a defenseless one. Only the ignorant and narrow-minded gossip, for they speak of persons instead of things.
Just like wood adds fuel to a fire, gossip intensifies a fight. Gossip is a relationship destroyer. Gossip is also a reputation destroyer. Gossip can make others feel differently about a person. It can forever hurt someone. Once it is out, it can have a life of its own.
Gossip is not easy to overcome. Gossip is like a tasty morsel. When you eat delicious food, your immediate response is to want more. Gossip elicits that same desire within us. We want more because when we gossip we feel powerful. We have information no one else has and therefore people have to listen to us. We want more because we feel included. It makes us feel like we are part of a group if we are sharing and hearing gossip. And it makes us feel better about ourselves. If we can talk about how bad someone else is, we don’t have to examine our own weaknesses.
Since we know the temptation to gossip is so strong we need to be aware of it and battle against it. Before you share information about someone else with another person, check your heart, make sure you are not slandering, make sure you are not sharing something you were supposed to keep private, and avoid always being in others private affairs. If we did this we would go a long way in avoiding gossip.
Be Impeccable With Your Word. Speak with integrity. Say only what you mean. Avoid using the word to speak against yourself or to gossip about others. Use the power of your word in the direction of truth and love.

"MONEY IS YOURS BUT RESOURCES BELONG TO THE SOCIETY."

Germany is a highly industrialized country. In such a country, many will think its people lead a luxurious life.
When we arrived at Hamburg , my colleagues walked into the restaurant, we noticed that a lot of tables were empty. There was a table where a young couple was having their meal. There were only two dishes and two cans of beer on the table. I wondered if such simple meal could be romantic, and whether the girl will leave this stingy guy.
There were a few old ladies on another table. When a dish is served, the waiter would distribute the food for them, and they would finish every bit of the food on their plates.
As we were hungry, our local colleague ordered more food for us.When we left, there was still about one third of un-consumed food on the table.
When we were leaving the restaurant, the old ladies spoke to us in English, we understood that they were unhappy about us wasting so much food.
"We paid for our food, it is none of your business how much food we left behind," my colleague told the old ladies. The old ladies were furious. One of them immediately took her hand phone out and made a call to someone. After a while, a man in uniform from Social Security organisation arrived. Upon knowing what the dispute was, he issued us a 50 Euro fine. We all kept quiet.
The officer told us in a stern voice, "ORDER WHAT YOU CAN CONSUME, MONEY IS YOURS BUT RESOURCES BELONG TO THE SOCIETY. THERE ARE MANY OTHERS IN THE WORLD WHO ARE FACING SHORTAGE OF RESOURCES. YOU HAVE NO REASON TO WASTE RESOURCES."
The mindset of people of this rich country put all of us to shame. WE REALLY NEED TO REFLECT ON THIS. We are from country which is not very rich in resources. To save face, we order large quantity and also waste food when we give others a treat.
(Courtesy: A friend who is now changed a lot)
THE LESSON IS:- THINK SERIOUSLY ABOUT CHANGING OUR BAD HABITS. Expecting acknowledgment, that u read the message and forward to your contacts.
VERY TRUE -"MONEY IS YOURS BUT RESOURCES BELONG TO THE SOCIETY."

Tuesday, 7 April 2015

क्या कहानी है:

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये!

हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ?? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं  यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा।
हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ?? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।

पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो।
हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद! यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा I  पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।
हंस चौंका- उसने कहा, आपकी पत्नी ?? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है!
उल्लू ने कहा- खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है।
दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गये। कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी। पंच लोग भी आ गये!
बोले- भाई किस बात का विवाद है ??

लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है! लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे। हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है। इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना चाहिए! फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों की जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है!

यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया। उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली!

रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको! हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ?? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?

उल्लू ने कहा- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी! लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!  मित्र, ये इलाका उजड़ाऔर वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है। यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं!

शायद 65 साल की आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने उम्मीदवार की योग्यता न देखते हुए, हमेशा ये हमारी जाति का है. ये हमारी पार्टी का है के आधार पर अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है, देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ!

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...