यह महत्वपूर्ण नहीं कि आपकी नजरों में समाज की छवि क्या है अपितु यह जरूर महत्वपूर्ण है कि समाज की नजरों में आपकी छवि क्या है। जहाँ एक सज्जन व्यक्ति समाज के लिए ईश्वर का वरदान स्वरुप है, वही एक दुर्जन व्यक्ति किसी अभिशाप से कम नहीं।
आचार्य चाणक्य बिना किसी संकोच के स्पष्ट कह रहे हैं कि साँप एक दुष्ट और क्रूर प्रकृति वाला जीव है मगर साँप से भी खतरनाक एक बुरे स्वभाव वाला मनुष्य यानि दुर्जन है। क्योंकि सर्प तो संयोगवश अवसर आ जाने पर काटता (डंसता) है मगर दुर्जन व्यक्ति तो पग- पग पर कारण- अकारण डंसता ही रहता है।
कड़वे शब्द ही दुर्जन का जहर है और यह जहर जिसके मुँह में घुलने लगता है वह मनुष्य अपना और अपने संसर्ग में आने वालों का जीवन नरक तुल्य बना देता है। अत: मीठा बोलने का प्रयास करो, कड़वा वोलने से रिश्तों में कटुता आ जाती है। रोग सिर्फ मीठा खाने से होता है, मीठा बोलने से नहीं।
Saturday, 25 April 2015
अपनी छवि अछी बनाओ:
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