[10/1, 11:07 AM] Bansi Lal: है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए
जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए
[10/1, 11:07 AM] Bansi Lal: बनाकर अपना ,राह बदलते रहे तुम ..
ऐसा भी कोई गुनाह था ,क्या ?
साथ चलना किसी के !
[10/1, 11:10 AM] Bansi Lal: किसी ने मुझसे पूछा कि-"ये शायरी क्या है..??"
हमने भी मुस्कुरा कर कहा-"जिंदगी के तजुर्बों का सर्टिफिकेट ..!!"
[10/1, 11:10 AM] Bansi Lal: मेरे ज़हन से निकल ही नहीं सका वह शख्स..
नये महबूब से भी बातें पुरानी करनी पड़ी.... !!
[10/1, 11:11 AM] Bansi Lal: हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है - उपहास, विरोध और स्वीकृति!
- स्वामी विवेकानंद
[10/2, 9:09 AM] Bansi Lal: मर्ज़ ही लाइलाज है तो हमदर्द करेगा क्या?
हम भटकना ही चाहेंगे तो राहबर करेगा क्या?
माना आजतक झुका नहीं तू किसी के सामने,
पर सजदा भी खुदा का ना किया, तो इस सर का करेगा क्या?
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