बात ये तुम ने सच कही बे-हुनर सही
ये भी है इक बड़ा हुनर इस में कोई हुनर नहीं
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आसमानों से फ़रिश्ते जो उतारे जाएँ,
वो भी इस दौर में सच बोलें तो मारे जाएँ
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सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह
देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में
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ये समझ के माना है सच तुम्हारी बातों को,
इतने ख़ूबसूरत लब झूट कैसे बोलेंगे...
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