इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह,
बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है...
जिंदगी तो अपने हिसाब से ही..जीनी चाहिए..
लोगों को खुश रखने के चक्कर में तो..
शेर को भी सर्कस में नाचना पड़ता है..
प्यासे रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर
मारो ज़मीं पे पाँव कि.. पानी निकल पड़े
Focus on what you want, your expectations, what you are going to do with what you have. Not on what you deserve, what should be given to you without you having worked for it. That’s the difference between average and successful.
मसला ये नहीं है कि दर्द कितना है...
मुद्दा ये है की परवाह किसको है...!
'जंग' लग न जाये मोहब्बत को कहीं ..
रूठने मनाने के सिलसिले जारी रखो
उस से मिलो तो सिर्फ इतना कह देना ..
की हम उसके बग़ैर 'तनहा' नहीं 'अधूरे' हैं
वो बात सारे फ़साने में जिसका ज़िक्र न था....
वो बात उनको बहोत ना-गवार गुज़री है......
जनाजा रोक कर मेरा वह इस अंदाज से बोले....
हमने तो गली कहीं थीतुमने तो दुनिया ही छोड़ दी........
पहाड़ो पर बैठ कर तप करना सरल है
लेकिन परिवार में सबके बीच रहकर धीरज बनाये रखना कठिन है, और यही तप है
अपनो में रहे, अपने मे नहीं.
सीख उस बालक से लेनी चाहिए जो अपनों की मार खाके अपनों से ही लिपट जाता है..
बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है...
जिंदगी तो अपने हिसाब से ही..जीनी चाहिए..
लोगों को खुश रखने के चक्कर में तो..
शेर को भी सर्कस में नाचना पड़ता है..
प्यासे रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर
मारो ज़मीं पे पाँव कि.. पानी निकल पड़े
Focus on what you want, your expectations, what you are going to do with what you have. Not on what you deserve, what should be given to you without you having worked for it. That’s the difference between average and successful.
मसला ये नहीं है कि दर्द कितना है...
मुद्दा ये है की परवाह किसको है...!
'जंग' लग न जाये मोहब्बत को कहीं ..
रूठने मनाने के सिलसिले जारी रखो
उस से मिलो तो सिर्फ इतना कह देना ..
की हम उसके बग़ैर 'तनहा' नहीं 'अधूरे' हैं
वो बात सारे फ़साने में जिसका ज़िक्र न था....
वो बात उनको बहोत ना-गवार गुज़री है......
जनाजा रोक कर मेरा वह इस अंदाज से बोले....
हमने तो गली कहीं थीतुमने तो दुनिया ही छोड़ दी........
पहाड़ो पर बैठ कर तप करना सरल है
लेकिन परिवार में सबके बीच रहकर धीरज बनाये रखना कठिन है, और यही तप है
अपनो में रहे, अपने मे नहीं.
सीख उस बालक से लेनी चाहिए जो अपनों की मार खाके अपनों से ही लिपट जाता है..
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