Thursday, 23 August 2018

मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से....

मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से....
शौक तो अब भी है बारिश में भीगने का....

धूप जवानी का याराना अपनी जगह
थक जाता है जिस्म तो साया माँगता है


एक इक बात में सच्चाई है उस की लेकिन
अपने वादों से मुकर जाने को जी चाहता है

वादा था मुकर गया... नशा था उतर गया...
दिल था भर गया... इंसान था बदल गया..

जब कभी दर्द की तस्वीर बनाने निकले
ज़ख़्म की तह में कई ज़ख़्म पुराने निकले

हज़ार रुख़ तेरे मिलने के हैं न मिलने में
किसे फ़िराक़ कहूँ और किसे विसाल कहूँ

"If a bad leader inherits a motivated team, sooner or later, the team will render itself unprodctive"🙏🏻
जिंदगी की रेस में जो लोग आपको ‘दौड़’ कर नहीं हरा पाते वही आपको ‘तोड़’ कर हराने की कोशिश करते हैं.....

आज तो उस ने यूँ देखा है
जैसे मुझ को भूल गया है

रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है

धोखे की ख़ासियत यही है जनाब
ये विश्वास के साथ मुफ़्त मिलता है

Keep in mind people will forgive many things where trust exists, but will rarely forgive anything where trust is absent.

ऐ आवारा यादो फिर ये फ़ुर्सत के लम्हात कहाँ
हम ने तो सहरा में बसर की तुम ने गुज़ारी रात कहाँ

ऐ आवारा यादो फिर ये फ़ुर्सत के लम्हात कहाँ
हम ने तो सहरा में बसर की तुम ने गुज़ारी रात कहाँ


It doesn't matter how many smart, talented and innovative people you hire if you don't give them the time and space to be brilliant.

“people don’t care how much you know until they know how much you care.”


कहाँ मिलेगी भला इस सितमगरी की मिसाल
तरस भी खाता है मुझ पर तबाह कर के मुझे


हम उन को सोच में गुम देख कर वापस चले आए
वो अपने ध्यान में बैठे हुए अच्छे लगे हम को


मोहब्बत की तो कोई हद, कोई सरहद नहीं होती
हमारे दरमियाँ ये फ़ासले, कैसे निकल आए


दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़तमेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी


मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़्सोस,
यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए...


तुम साथ हो, ऐसी ख़्वाहिश है
ख्वाहिशें पूरी हों जरूरी तो नहीं ।


अच्छी किताबे और अच्छे लोग....
तुरंत समझ मे नही आते, उन्हें पढना पड़ता है....


नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे



खामोशी भी एक तहजीब है...
ये संस्कारों की खबर देती है...!!


इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी
हमे कौन सी सदिया गुजारनी है यहाँ...

🍂🍃🍂

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