*💐~ मेहनत की आदत ~💐*
एक बार की बात है, एक आदमी जो पेशे से दुकानदार था बड़ा दुखी रहता था क्यूंकि उसका बेटा बहुत आलसी और गैरजिम्मेदार था वह हमेशा दोस्तों के साथ मस्ती करता रहता था ।
जबकि वह अपने पुत्र को एक मेहनती इंसान बनाना चाहता था। वह काफ़ी बार अपने पुत्र को डाँटता था लेकिन पुत्र उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था ।
एक दिन उसने अपने पुत्र से कहा कि आज तुम घर से बाहर जाओ और शाम तक कुछ अपनी मेहनत से कमा के लाओ नहीं तो आज शाम को खाना नहीं मिलेगा ।
लड़का पहुत परेशान हो गया वह रोते हुए अपनी माँ के पास गया और उन्हें रोते हुए सारी बात बताई माँ का दिल पसीज गया और उसने उसे एक सोने का सिक्का दिया कि जाओ और शाम को पिताजी को दिखा देना ।
लड़के ने वैसे ही किया शाम को जब पिता ने पूछा कि क्या कमा कर लाए हो तो उसने वो सोने का सिक्का दिखा दिया ।
पिता यह देखकर सारी बात समझ गया । उसने पुत्र से वो सिक्का कुएँ मे डालने को कहा, लड़के ने खुशी खुशी सिक्का कुएँ में फेंक दिया ।
अगले दिन पिता ने माँ को अपने मायके भेज दिया और लड़के को फिर से कमा के लाने को कहा । अबकी बार लड़का रोते हुए बड़ी बहन के पास गया तो बहन ने दस रुपये दे दिए ।
लड़के ने फिर शाम को पैसे लाकर पिता को दिखा दिए । पिता ने कहा कि जाकर कुएँ में डाल दो लड़के ने फिर डाल दिए।
अब पिता ने बहन को भी उसके ससुराल भेज दिया । अब फिर लड़के से कमा के लाने को कहा ।
अब तो लड़के के पास कोई चारा नहीं था वह रोता हुआ बाजार गया और वहाँ उसे एक सेठ ने कुछ लकड़ियाँ अपने घर ढोने के लिए कहा और कहा कि बदले में दो रुपये देगा । लड़के ने लकड़ियाँ उठाईं और सेठ के साथ चल पड़ा रास्ते में चलते चलते उसके पैरों में छाले पड़ गये और हाथ पैर भी दर्द करने लगे ।
शाम को जब पिताजी को दो रुपये दिखाए तो पिता ने फिर कहा की बेटा कुएँ मे डाल दो तो लड़का गुस्सा होते हुए बोला कि मैने इतनी मेहनत से पैसे कमाए हैं और आप कुएँ में डालने को बोल रहे हैं।
पिता ने मुस्कुराते हुए कहा कि यही तो मैं तुम्हें सिखाना चाहता था ,तुमने सोने का सिक्का तो कुएँ में फेंक दिया लेकिन दो रुपये फेंकने में डर रहे हो क्यूंकि ये तुमने मेहनत से कमाए हैं ।
अबकी बार पिता ने दुकान की चाबी निकाल कर बेटे के हाथ में दे दी और बोले कि आज वास्तव में तुम इसके लायक हुए हो, क्यूंकि आज तुम्हें मेहनत का अहसास हो गया है l
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