[5/28, 11:36 AM] Bansi Lal: मेरी समंदर से मुहब्बत, कुछ उसके साहिलों की है |
रेत के हर जर्रे में कहानी, कितने ही काफिलों की है | 🍃🌸🍃
[6/2, 8:57 AM] Bansi Lal: "एक एक कर इतनी कमियां निकाली लोगों ने मुझमें,
की अब बस "खुबियां" ही रह गयी हैं मुझमें...
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[6/3, 6:24 AM] Bansi Lal: रुलाये बगैर तो प्याज भी नही कटता,
फिर ये तो #जिदंगी है ।
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[6/3, 6:25 AM] Bansi Lal: बहुत उदास था उस दिन मगर हुआ क्या था
हर एक बात भली थी तो फिर बुरा क्या था
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[6/3, 6:25 AM] Bansi Lal: तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
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[6/3, 6:26 AM] Bansi Lal: “जलो वहां जहाँ जरूरत हो, उजालों में चिरागों के मायने नहीं होते..”
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[6/3, 6:28 AM] Bansi Lal: न पूछिए कि शब-ए-हिज्र हम पे क्या गुज़री
तमाम रात जले शम-ए-अंजुमन की तरह
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[6/3, 6:36 AM] Bansi Lal: इतना तो मुझे याद है कुछ उस ने कहा था
क्या उस ने कहा था ये मुझे याद नहीं है
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[6/3, 6:38 AM] Bansi Lal: आइना देख ज़रा क्या मैं ग़लत कहता हूँ
तू ने ख़ुद से भी कोई बात छुपा रक्खी है
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[6/4, 8:06 AM] Bansi Lal: महफ़िल में जो हमे दाद देने से कतराते हैं,
सुना है तन्हाइयों में वो हमारी शायरी गुनगुनाते हैं...
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[6/4, 10:17 AM] Bansi Lal: बाहर सारे मैदाँ जीत चुका था वो
घर लौटा तो पल भर में ही टूटा था
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[6/5, 6:44 AM] Bansi Lal: मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बने
तू समझता है मुझे तुझ से गिला कुछ भी नहीं
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[6/6, 10:43 AM] Bansi Lal: उस को देखा तो ये महसूस हुआ
हम बहुत दूर थे ख़ुद से पहले
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[6/6, 10:44 AM] Bansi Lal: ये शहर-ए-तिलिस्मात है कुछ कह नहीं सकते
पहलू में खड़ा शख़्स फ़रिश्ता कि बला है
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[6/6, 10:45 AM] Bansi Lal: दीवार ओ दर झुलसते रहे तेज़ धूप में
बादल तमाम शहर से बाहर बरस गया
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[6/6, 8:25 PM] Bansi Lal: ज़िंदगी इक सवाल है जिस का जवाब मौत है
मौत भी इक सवाल है जिस का जवाब कुछ नहीं
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[6/7, 10:58 AM] Bansi Lal: जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..
सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...
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[6/7, 12:45 PM] Bansi Lal: रिश्तों में ना रखा करो, हिसाब नफ़े और नुकसान का।
ज़िन्दगी की पाठशाला में, गणित का कमज़ोर होना अच्छा है
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