Tuesday, 31 October 2017

I am back :

मुन्तज़िर मैं ही नहीं रहता किसी आहट का

कान दरवाज़े पे उसके भी लगे रहते हैं
🌺💐🌺
हर्फ़- हर्फ़  बयाँ करता है मेरे अल्फाजों का

मेरे हर खयाल का ताल्लुक  तुझसे  है॥
💐🌺💐
कर दी ना बर्बाद फिर , अच्छी खासी शाम 

कमज़र्फों के हाथ में , और दीजिये जाम
🌺💐🌺
फिर से कर दे कोई सजा मुकर्रर

या इंतिहा कर दे इस कशमकश  की॥
💐🌺💐
आदत बहुत बुरी है कि,, आदत बना लेते है हम

मुमकिन होता नहीं जो,, वो चाहत बना लेते है हम॥
🌺💐🌺
गिरना ही था जो आपको.. तो सौ मक़ाम थे.,

ये क्या किया.. कि निगाहों से गिर कर तमाशा बन गए…
💐🌺💐
तुम हो शामिल, बस तब तक महफ़िल चलेगी,

उसके बाद, बस कुछ लोग रहेंगे और भीड़ दिखेगी..
🌺💐🌺
मेरे घर से मयखाना इतना करीब ना था  ऐ दोस्त।।।

तु दुर होता गया और मयखाना करीब आ गया।।।
💐🌺💐

Sunday, 29 October 2017

Chalan to banta hai:

जिस रफ्तार से तू निकल रही है ना जिंदगी....

एक चालान तो तेरा भी बनता है....
🎋🌹🎋
किरदार की अज़मत को गिरने न दिया हमने,

धोखे तो बहुत खाए लेकिन धोखा न दिया हमने।
💐🌺💐
एक उम्र वो थी कि, जादू पर भी यक़ीन था;

एक उम्र ये है कि, हक़ीक़त पर भी शक़ है!

💐🌺💐

Monday, 16 October 2017

Best example to serve:

*मेरे हृदय को छू गई...!*

मैं पैदल वापस घर आ रहा था। रास्ते में एक बिजली के खंभे पर, एक कागज लगा हुआ था। पास जाकर देखा, लिखा था --

*कृपया पढ़ें -- "इस रास्ते पर मैंने कल एक 50 का नोट गंवा दिया है । मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता। जिसे भी मिले, कृपया इस पते पर दे सकते हैं...!"*

यह पढ़ कर पता नहीं क्यों, उस पते पर जाने की इच्छा हुई। वहाँ जाकर आवाज लगाया, तो एक वृद्धा लाठी के सहारे धीरे-धीरे बाहर आई। मुझे मालूम हुआ, कि वह अकेली रहती है। उसे ठीक से दिखाई नहीं देता।

"माँ जी", मैंने कहा -- "आपका खोया हुआ 50 मुझे मिला है, उसे देने आया हूँ।"

यह सुन वह वृद्धा रोने लगी और बोली -- "बेटा ! अभी तक करीब 50-60 व्यक्ति, मुझे 50-50 दे चुके हैं। मै पढ़ी-लिखी नहीं हूँ। ठीक से दिखाई नहीं देता। पता नहीं कौन, मेरी इस हालत को देख, मेरी मदद करने के उद्देश्य से, लिख गया है ?"

बहुत कहने पर माँ जी ने पैसे तो रख लिए। पर एक विनती की -- "बेटा, वह मैंने नहीं लिखा है। किसी ने मुझ पर तरस खाकर, लिखा होगा। जाते-जाते उसे फाड़ कर फेंक देना बेटा।"

मैनें हाँ कहकर टाल तो दिया, पर मेरी अंतरात्मा ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, कि उन 50-60 लोगों से भी "माँ" ने यही कहा होगा। पर किसी ने भी नहीं फाड़ा।

*मेरा हृदय उस व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता से भर गया। जिसने इस वृद्धा की सेवा का उपाय ढूँढा।सहायता के तो बहुत से मार्ग हैं , पर इस तरह की सेवा, मेरे हृदय को छू गई और मैंने भी उस कागज को फाड़ा नहीं...!*

Saturday, 14 October 2017

Interview:

एक बार एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन ने कहा कि अमिताभ बच्चन का सार्थक सिनेमा में खास योगदान नहीं रहा क्योंकि वो विशुद्ध व्यावसायिक अभिनेता हैं।

इसके बाद एक पत्रकार ने अमिताभ बच्चन को यह बात बताई और उनकी प्रतिक्रिया चाही।
बच्चन ने कहा" जब नसीरुद्दीन शाह के जैसा अंतर राष्ट्रीय अभिनेता कुछ कहता है तो आत्म मंथन करना चाहिये,प्रतिक्रिया नहीं देना चाहिये "

एक दफा गुलज़ार से किसी ने उनके पांच सबसे पसंदीदा गीतकारों के नाम पूछे।
गुलज़ार ने पांच गीतकार गिनवा दिये, उसमे जावेद अख्तर का नाम नहीं था।

फिर क्या था एक पत्रकार ने ये बात जावेद अख्तर को बताई और प्रतिक्रिया चाही।
जावेद अख्तर ने कहा"इस बात पर बस मैं ये कह सकता हूँ कि गुलज़ार साहब की लिस्ट में जगह पाने के लिए मुझे अभी और मेहनत करना होगा  "
यही सफलता की कुन्जी है, प्रतिक्रिया आत्म कल्याण के लिए ही हो, प्रतिशोध के लिए नहीं !
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Osho:

*ओशो*
Beautiful words by Osho.

जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारो से मिलने आएगे और मुझे पता भी नही चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने।

जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे जिसका मुझे पता भी नही चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना।

जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना।

जब मेरी मृत्यु होगी तो आपको लगेगा कि इस इंसान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ।

इसीलिए कहता हूं कि इंतजार मत करो इंतजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है.!
इस लिये मिलते रहो दोस्तो ।।🙏

Nobel winner says:

*नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता "You Start Dying Slowly" का हिन्दी अनुवाद..*

1) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- करते नहीं कोई यात्रा,
- पढ़ते नहीं कोई किताब,
- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
- करते नहीं किसी की तारीफ़।

2) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप:*
- मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
- नहीं करने देते मदद अपनी और न ही करते हैं मदद दूसरों की।

3) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
- चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
- नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार,
- नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या
- आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान।

4) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को, और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को, वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें, और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को।

5) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को, जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
- अग़र आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
- अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
- अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को, अपने जीवन में कम से कम एक बार, किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की..।
*तब आप धीरे-धीरे मरने  लगते हैं..!!*

*इसी कविता के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। *

Kal ki khabar:

आगाह अपनी मौत से कोई बशर(आदमी) नहीं,

सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर नहीं

🎋🌺🎋
इतनी सारी यादों के होते भी जब दिल में
वीरानी होती है तो हैरानी होती है
🎋🌺🎋
"Quality is never an accident. It is always the result of intelligent effort." - John Ruskin
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अच्छा है उन से कोई तक़ाज़ा किया न जाए ,

अपनी नज़र में आप को रुस्वा किया न जाए !!
🎋🌺🎋
बेहद छोटी सी लिस्ट बनाई है अपनी ख्वाहिशों की...

पहले पेज पर तुम्हें लिखा आखिर में भी तेरा जिक्र है.
🎋🌺🎋
चमक तो सकतें हैं हम भी.. गैरों की चमक चुराके ...

मगर उधार की रोशनी का चाँद बनना हमें मंजूर नहीं..
🌺🙏🏻🙏🏻🌺
जिस को ख़ुश रहने के सामान मयस्सर सब हों

उस को ख़ुश रहना भी आए ये ज़रूरी तो नहीं
🎋🌺🎋
गमो का बहाना होता है मगर दर्द का पैमाना नही होता

हंसी का बहाना होता है मगर खुशियो का पैमाना नही होता
🎋🎋🌺🎋🎋
उस ने मंज़िल पे ला के छोड़ दिया

उम्र भर जिस का रास्ता देखा
🎋🌺🎋

New beginning:

कितनी शक्लों में मिले मुझको सताने वाले,

ख़ूब घुल मिल के मिले मुझको मिटाने वाले

🌺🌷🌺
आज बड़ी देर तक वो मुझे देखता रहा ,

ना जाने क्यूँ लगा कि वो मुझे छोड़ जाएगा
🌾🌺
गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है

वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है
🌾🌺🌾
किस सोच में हैं आइने को आप देख कर

मेरी तरफ़ तो देखिए सरकार क्या हुआ
🍂🌺🌺🍂
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है

क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
🍂🌷🍂
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,

मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा

🌾🌹🌾
इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप

शहर वालों से हमारी दुश्मनी बढ़ जाएगी
🍂🌸🍂
किया करते थे बातें ज़िंदगी-भर साथ देने की

मगर ये हौसला हम में जुदा होने से पहले था
🎋🌹🎋
रहे न कुछ मलाल बड़ी शिद्दत से कीजिये...

नफरत भी कीजिये तो ज़रा मोहब्बत से कीजिये..!
🎋🌹🎋
कितने मसरूफ हैं हम जिंदगी के कशमकश में,

इबादत भी जल्दी में करते हैं, फिर से गुनाह करने के लिए

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

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