Sunday, 10 September 2017

यतीमखाना:

"बेटा अपने बूढ़े बाप को यतीमख़ाने छोड़कर वापस जा रहा था तो  उसकी बीवी ने फ़ोन किया और कहा "अपने बाप को ये भी कह दो कि त्यौहार पर भी घर आने की ज़रूरत नहीं, अब वहीं रहें और हमें सुकून से जीने दें",
बेटा वापस मुड़ा और यतीमख़ाने गया तो देखा कि उसका बाप यतीमख़ाने के मैनेजर के साथ ख़ुश गप्पों में व्यस्त है और वो यूं बैठे थे जैसे बरसों से एक दूसरे को जानते हों।
बेटे ने पूछा "सर, आप मेरे पिता को किस त़रह़ और कब से जानते हैं?
उसने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "जब ये यतीमख़ाने से एक बच्चे को गोद लेने आए थे"👌👌👌

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