Sunday, 17 September 2017

मिज़ाज़ औऱ हक़ीक़त:

मिजाज़ और हक़ीक़त कुछ और है यानी

तेरी निगाह से तेरा बयाँ नहीं मिलता
🌹🌺🌹
हसरत से उस कूचे को क्यों कर न देखिये,

अपना भी इस चमन में कभी आशियाना था।
🌹🌺
ओस के मोतियों से ये पूछो

आबरू-ए-हयात  कितनी है
🌹🌺🌹
''ये सांझ ……
परिंदे फूल पत्तियां
चाँद तारों को देखना
भी खुदा की नेमत है!!

🌹🌺🌹
''जब भी आंखे उदास होती है,
बारिशे … रास नहीं आती …!!

🌺🌹🌺
वो ''पानी'' पर इश्क़ लिख कर भूल गया,,
हम आज भी आंखों में समंदर भर कर बैठे हैं!

🌺🌹🌺

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