Thursday, 17 August 2017

आ ज़मी:

ए ज़मीं...
इक रोज़ तेरी ख़ाक में खो जायेंगे... 

सो जायेंगे
मर के भी, रिश्ता नहीं टूटेगा हिंदुस्तान से....

ईमान से....
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
दिन सलीक़े से उगा रात ठिकाने से रही

दोस्ती अपनी भी कुछ रोज़ ज़माने से रही

ख़ाली नहीं रहा कभी  आँखों का ये मकान,

जब अश्क़ निकल गये  तब उदासी ठहर गयी।
🌺🌹🌺
मिला तो ऐसे कि सदियों की आश्नाई हो,

तआरुफ़ उस से भी हालाँकि ग़ाएबाना था।

🌺🌹🌺
चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो ले

कहीं कोई तुझे पीछे से देखता होगा
🌺🌹🌺

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