क्षितिज की जेब में डाल सूरज का सिक्का...
देखो, फ़लक ने एक शाम खरीदी है :
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वक़्त गुज़रा जो बे-ख़याली में
वो तेरे ही ख़याल में गुज़रा
एक लम्हे में कितने साल कटे
एक लम्हा भी साल में गुज़रा
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जिन्दगी कट रहि है उनके बगैर,
पर मजा वो नही जो पहले था।
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ऐब भी बहुत हैं मुझमें, और खूबियाँ भी...
ढूँढने वाले तू सोच, तुझे क्या चाहिए मुझमें
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पा कर भी तो नींद उड़ गई थी
खो कर भी तो रत-जगे मिले हैं
जब तेरा जमाल ढूँडते थे
अब तेरा ख़याल ढूँडते हैं
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दिल अगर है तो दर्द भी होगा
इस का कोई नहीं है हल शायद
राख को भी कुरेद कर देखो
अभी जलता हो कोई पल शायद
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बेहतर दिनों की आस लगाते हुए 'हबीब'
हम बेहतरीन दिन भी गँवाते चले गए
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हुजूम देख के रास्ता नहीं बदलते हम
किसी के डर से तकाज़ा नहीं बदलते हम
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तू खूबियाँ मुझ में तलाश ना कर...
तू भी शामिल है मेरी कमियों में
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कुछ लोगों को कितना भी अपना बनाने की कोशिश कर लो वो साबित कर ही देते है की वो गैर है..
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"हम में से कई लोग अपने सपनों को
नहीं बल्कि अपने डर को जी रहे हैं।"
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