Monday, 5 December 2016

तू दुश्मनी करके:

तु दुश्मनी करके मुझसे जितने निकला था
दोस्ती कर लेता  मैं खुद ही हार जाता...

कुछ तो मुझ से दूरियां बना कर तो देखो
फिर पता चलेगा कि कितना नजदीक था में

मसरूफ़ रहने का यह अंदाज़ कहीं तुझे तन्हा ना कर दे,
क्योंकि रिश्ते फुरसत के नहीं तवज़्जो के मोहताज़ होते हैं...

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

जिंदगी दोस्तों में मिला करती है
और ये दोस्त भी अजीब होते हैं

देने को आयें तो जान तक दे देते हैं
और लेने पे आयें तो हसीं भी छीन लेते हैं

खामोशी अक्सर कूच बयान करती है .
भरी मेहफिल मै अपनी तनहाई
और
अकेले बंद कमरे मै खयालो कि सौगाद
पर खामोशी हर वक्त कूच बयान करती है

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