Thursday, 26 February 2015
Happy and contended life:
सुख का अर्थ केवल कुछ पा लेना नहीं अपितु जो है उसमे संतोष कर लेना भी है। जीवन में सुख तब नहीं आता जब हम ज्यादा पा लेते हैं बल्कि तब भी आता है जब ज्यादा पाने का भाव हमारे भीतर से चला जाता है।
सोने के महल में भी आदमी दुखी हो सकता है यदि पाने की इच्छा समाप्त नहीं हुई हो और झोपड़ी में भी आदमी परम सुखी हो सकता है यदि ज्यादा पाने की लालसा मिट गई हो तो। असंतोषी को तो कितना भी मिल जाये वह हमेशा अतृप्त ही रहेगा।
सुख बाहर की नहीं, भीतर की संपदा है। यह संपदा धन से नहीं धैर्य से प्राप्त होती है। हमारा सुख इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने धनवान है अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि है कि कितने धैर्यवान हैं। सुख और प्रसन्नता आपकी सोच पर निर्भर करती है।
Friday, 20 February 2015
भूमि नहीं भूमिका बदलो:
जीवन को दो तरीकों से सुखद बनाया जा सकता है। पहला यह है कि जो तुम्हें पसंद है उसे प्राप्त कर लो या जो प्राप्त है उसे पसंद कर लो।
अगर आप भी उन व्यक्तिओं में से एक हैं जो प्राप्त को पसंद नहीं करते और ना ही पसंद को प्राप्त करने का सामर्थ्य रखते हैं तो आपने स्वयं ही अपने सुखों का द्वार बंद कर रखा है।
सुख प्राप्त करने की चाह में आदमी मकान बदलता है, दुकान बदलता है। कभी-कभी देश बदलता है तो कभी-कभी भेष भी बदलता है। लेकिन अपनी सोच और स्वभाव बदलने को राजी नहीं है।
भूमि नहीं अपनी भूमिका बदलो। जिस दिन आदमी ने अपना स्वभाव जीत लिया उसी दिन उसका अभाव मिट जायेगा।
Nothing great is ever achieved without enthusiasm. --Ralph Waldo Emerson
GOD IS AT THE WINDOW !!!
DETERMINATON !!!
Value !!!
WE SEE THINGS NOT THE WAY THEY ARE BUT THE WAY WE ARE - MUST READ !
nkedIn
How They Catch Monkeys In India !!!
Monkey-hunters use a box with an opening at the top, big enough for the monkey to slide its hand in. Inside the box are nuts. The monkey grabs the nuts and now its hand becomes a fist. The monkey tries to get its hand out but the opening is big enough for the hand to slide in, but too small for the fist to come out.
Friday, 13 February 2015
अति कहीं भी अछि नहीं:
कहना ही अपराध नहीं है कभी-कभी सहना भी अपराध बन जाता है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि अति कहीं भी उचित नहीं है। अति सहन करना अपराध का मूक समर्थन करना है।
जिन भगवान् श्री कृष्ण ने शिशुपाल की सौ गालियों को मुस्कराकर टाल दिया वो क्या एक गाली और सहन नहीं कर सकते थे ? अवश्य कर सकते थे मगर इससे एक विकृत मानसिकता को समर्थन मिल जाता।
समाज आज दोनों तरफ से त्रस्त है, एक तरफ अति कहने वालों से और दूसरी तरफ अति सहने वालों से भी। बुराई का प्रतिकार ना करने वाला भी बुराई का पोषक माना जाता है। बुराई को समय रहते ना मिटाया गया तो वह परम्परा भी बन सकती है।
मै चुप हूँ तो समझो मेरा मौन बोलता है।
बोलने से पहले सौ बार तोलता है॥
कोई शिशुपाल जब शब्द की मर्यादा तोड़ दे,
फिर बंशी नहीं चक्र डोलता है॥
भग्त भगवान को भी गिरने से बचाते है:
उस समय का प्रसंग है जब केवट भगवान के चरण धो रहा है बड़ा प्यारा दृश्य है, एक पैर धोता है उसे निकालकर कठौती से बाहर रख देता है
और जब दूसरा धोने लगता है तो पहला वाला पैर गीला होने से जमीन पर रखने से धूल भरा हो जाता है, केवट दूसरा पैर बाहर रखता है फिर पहले वाले को धोता है, एक-एक पैर को सात-सात बार धोता है. कहता है प्रभु एक पैर कठौती मे रखिये
दूसरा मेरे हाथ पर रखिये, ताकि मैला ना हो. जब भगवान ऐसा करते है तो जरा सोचिये
क्या स्थिति होगी यदि एक पैर
कठौती में है दूसरा केवट के हाथो में, भगवान दोनों पैरों से खड़े नहीं हो पाते बोले-केवट मै गिर जाऊँगा ?
केवट बोला - चिंता क्यों करते हो सरकार ! दोनों हाथो को मेरे सिर पर रखकर खड़े हो जाईये, फिर नहीं गिरेगे , जैसे कोई छोटा बच्चा है जब उसकी माँ उसे स्नान कराती है तो बच्चा माँ के सिर पर हाथ रखकर
खड़ा हो जाता है,भगवान भी आज वैसे ही खड़े है.
भगवान केवट से बोले - भईया केवट ! मेरे अंदर का अभिमान आज टूट गया. केवट बोला - प्रभु ! क्या कह रहे है ?
भगवान बोले - सच कह रहा हूँ केवट, अभी तक मेरे अंदर अभिमान था, कि मै भक्तो को गिरने से बचाता हूँ पर आज पता चला भक्त भी भगवान को गिरने से बचाता है।
Sunday, 8 February 2015
Absent-Minded?
Absence of mind doesn't mean you are careless or lacking in focus; it just means the mind is meandering through fascinating labyrinths invisible to the open eye.
"Absent minded professor syndrome" I was reminded of my history professor who, walking to next her bureaucrat husband,wearing heels on one foot and flats on the other!
Newton would forgetfully keep visitors waiting for hours, and had to be reminded to eat; Einstein too needed reminders to eat and take his classes!
Meditation and sexual climax, when all thought shuts for a while, are two extreme paths to mindlessness, Osho says you becone the Divine.
Rumi says mindlessness helps you unite with Divine.
Far from being a negative , it is desirable state that everyone can, or even should, aspire to!
Saturday, 7 February 2015
I am sorry:
SORRY so common a word, its used by one and all. Strange isn't it.... you will easily say sorry to a stranger but when it comes to saying it to your loved ones, at office, home or your neighbours.... ego / attitude / anger does not let you say utter this word ! However, saying sorry to your loved ones / subordinates and people close to you, strengthens and binds the relationship ! These are the people who will stand by you always !
Once there was a man who had 3 daughters and was a single parent to his children. One morning he asked his oldest daughter, Sonia, to do the breakfast dishes before going to school.
Not realizing that she was already running late and facing too many tardy notices, he was stunned by her reaction. She burst into profuse tears. Again, misinterpreting the motive behind the outburst, assuming that she was merely trying to get out of an unpleasant chore, he demanded that she dry her tears and get back to work immediately. She reluctantly obeyed him, but her anger could be clearly heard in the careless clanking of the dishes in the sink, she turned back to her father and stared sullenly out the window.
Usually the man used to take advantage of the uninterrupted time to spend with his children while driving them to school by teaching poetry or religious verses. However that morning there was no songs- only deathly, stubborn silence.
The man dropped his daughter, mumbled a good bye and moved to office. He tried to work but couldn’t concentrate all he could see was his daughter’s scared, tear-stained face as she hesitantly climbed out of the car to face her teachers and classmates.
The man began to realize that his timing had gone wrong and with the passage of the day he began to feel remorseful. So he decided to say SORRY to his daughter and couldn’t wait till suppertime to apologize.
He took permission from the school to take his daughter for lunch and was astonished to see the surprise on her face. He led her by her arm through the corridor and as the doors banged behind them, he turned towards his daughter and said, “Sonia I am sorry. I am so very sorry! It’s not that I shouldn’t have asked you to help out at home, but I had no right on it this morning without any previous warning. I upset you at a time when you most needed my love and support- just before you went to school. And I let you go without saying ‘I love you’. I was wrong. Please forgive me.”
Sonia put her arms around her father’s neck and hugged him and said “Oh, Dad, of course I forgive you. I love you too.”
The power of these restorative words, “I am Sorry!” is such that they heal relationships – between us and our friends and loved ones and between us and God.
Friday, 6 February 2015
संतोष ही परम सुख है:
किसी से बदला लेना बहुत आसान है मगर किसी का बदला चुकाना बहुत ही मुश्किल। उन्हें भुलाना अच्छी बात नहीं जो विपत्ति में आपका साथ दिया करते हैं। पैसों पर ज्यादा घमंड मत करना उनसे सिर्फ बिल चुकाया जा सकता है बदला नहीं।
सब कुछ होने पर भी यदि आपको संतोष नहीं है तो फिर आपको अभाव सतायेगा और सब कुछ मिलने पर भी यदि आप चुप नहीं रह सकते तो फिर आपको स्वभाव सतायेगा। यदि फिर आपके मन में अपने पास बहुत कुछ होने का अहम आ गया तो सच मानो फिर आपको आपका ये कुभाव सतायेगा।
दौलतवान न बन सको तो कोई बात नहीं, दिलवान और दया वान बन जाओ, आनंद ही आनंद चारों तरफ हो जायेगा।
जिन्दगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है।
और आसान करने के लिए समझना पड़ता है॥
छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर रहमत प्यारों
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार देती है॥
Thursday, 5 February 2015
Two little teardrops:
Helping Hands !!!
Wednesday, 4 February 2015
The Emperor's Horseman !
Came to a point when he had covered a substantial area and he was exhausted and was dying. Then he asked himself, "Why did I push myself so hard to cover so much land area? Now I am dying and I only need a very small area to bury myself."
The above story is similar with the journey of our Life. We push very hard everyday to make more money, to gain power and recognition. We neglect our health, time with our family and to appreciate the surrounding beauty and the hobbies we love.
Moral- One day when we look back , we will realize that we don't really need that much, but then we cannot turn back time for what we have missed....
Who is Happy? The Peacock & The Crow
The Crow and the Peacocks
- Be contented.
- Contentment is happiness.
- I am the best gift that I have received.
- I am precious.
- I am special.
- I am unique.
- I have something special to give.
- I will remain in charge of my happiness.
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