Wednesday, 25 November 2020

संभाल सकते थे तुम रिश्तों को ! तुमने मगर

[11/22, 7:49 AM] Bansi Lal: संभाल सकते थे तुम रिश्तों को !
तुमने मगर
तस्वीरों को संभालना चुना !
[11/22, 7:50 AM] Bansi Lal: वो शख़्स था के एहसान कोई....

दिल से मेरे अब तक उतरा नहीं...!
[11/23, 9:02 PM] Bansi Lal: यह हक़ सिर्फ़ झूठ को है

कि वह ज़ोर से बोले
और विशिष्ट बना रहे...
[11/23, 9:09 PM] Bansi Lal: बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में 

कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
[11/23, 9:10 PM] Bansi Lal: "..अतिथि केवल देवता नहीं होता। 

वह मनुष्य और कई बार राक्षस भी हो सकता है।"
[11/23, 9:12 PM] Bansi Lal: "बिना ज़रूरत बोल पड़ने का पश्चाताप उतना कभी नहीं होता, जितना ज़रूरत होते हुए चुप रह जाने का।"
[11/23, 9:13 PM] Bansi Lal: अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को 

मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं
[11/23, 9:14 PM] Bansi Lal: ये हुनर जो आ जाये, आपका ज़माना है

पाँव किसके छूने हैं, सर कहाँ झुकाना है

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