अगर वो पूछ लें हम से
तुम्हे किस बात का ग़म है,
तो फिर किस बात का ग़म है
अगर वो पूछ लें हम से...
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कैदी ही तो हैं सब यहाँ,
कोई ख्वाबों का तो कोई ख्वाहिशों का...
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हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो,
सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं
जहल-ignorance
बार बार आईना पोंछा मगर,
हर तस्वीर धुंधली थी,
न जाने आईने पर ओस थी या, हमारी आँखें गीली थीं!
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मेरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये था
मुझे बस वो उसे सारा ज़माना चाहिए था
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“All truth passes through three stages. First, it is ridiculed. Second, it is violently opposed. Third, it is accepted as being self-evident.”
“Nothing will ever be attempted if all possible objections must first be overcome.”
“Too many people buy things they don’t even need, with money they don’t even have, to impress people they don’t even like.”
अपनी तलाश अपनी नज़र अपना तजरबा
रस्ता हो चाहे साफ़ भटक जाना चाहिए
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यूँ ना खुला छोड़ ....
जिंदगी की किताब को
ये बेवक्त की हवा...
जाने कौन सा पन्ना पलट दे...
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हम शहर में इक शमा की ख़ातिर हुए बर्बाद
लोगों ने किया चाँद के सहराओं को आबाद
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ये ख़ामोशी जो गुफ़्तगू के बीच ठहरी है,
यही इक बात सारी गुफ़्तगू में सबसे गहरी है
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"भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ
मुर्दा-दिली का झंडा फेंको ज़मीन पर तुम
ज़िंदा-दिली का हर-सू परचम उड़ाए जाओ"
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इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा कर
इतनी सी है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
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ये बात समझने में उम्र लग गई कि,
बेगुनाह होना भी एक गुनाह है.
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सोचा था घर बना कर बैठूँगा सुकून से,
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना दिया...
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ग़ैर अपने हो गए, शीरीं हो गर अपनी ज़बाँ
दोस्त हो जाते हैं दुश्मन, तल्ख़ हो जिस की ज़बाँ
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तुम को लिख पाना कहाँ मुमकिन है
इतने खुबसूरत तो लफ़्ज़ भी नहीं मेरे पास..!!
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फासलों को ही जुदाई ना समझ लेना तुम,
थाम कर हाथ यहाँ लोग जुदा बैठे हैं…
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