अच्छी किताबे और अच्छे लोग....
तुरंत समझ मे नही आते, उन्हें पढना पड़ता है....
नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे
खामोशी भी एक तहजीब है...
ये संस्कारों की खबर देती है...!!
इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी
हमे कौन सी सदिया गुजारनी है यहाँ...
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो
हर बात में लज़्जत है अगर दिल में मज़ा हो
पतझड़ के पत्तों ने कहा,ना रौंदो हमे पाँव में..
पिछली रुत में,
तुम बैठे थे हमारी छाव में.
मिट गए हम तो ये हुआ मालूम
भूल कर कोई मुस्कुराया था
जरूरी तो नहीं जो शायरी करे उसे इश्क हो ही,
ज़िन्दगी भी कुछ झख्म बेमिसाल दिया करती है
दिल कब तलक जुदाई की शामें मनाएगा
मेरी तरफ़ कभी तो नसीम-ए-हयात कर
Honestly, I don't have time to hate people who hate me, because I'm too busy loving people who love me.🍃🍂🍃
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
🍂🍃🍂
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था
पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा
🌹👌🌹
Here’s to the unconditional love and invincible bond between brothers and sisters. #HappyRakshaBandhan
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समुंदरों के सफ़र जिन के नाम लिक्खे थे
उतर गए वो किनारों पे कश्तियाँ ले कर
💐🌷💐🌷💐
कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए
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इक समुंदर में जुदा सबका सफ़र लिखता है वो
कश्तियों को ध्यान में रख कर भंवर लिखता है वो
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इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के,
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
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कोई इलाज-ए-ग़म-ए-ज़िंदगी बता वाइज़
सुने हुए जो फ़साने हैं फिर सुना न मुझे
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एक अकेले से
ये रस्म
अदा नहीं होती,
शुरुआत ही
दोस्ती
की
‘दो’ से होती है..
💐🌷💐
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
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~अमीर मीनाई
खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
हार जीत कोई भी आख़िरी नहीं होती
💐🌷💐
हाथ बेशक छूट गया उसके हाथसे मग़र,
वजू़द उसकी उंगलियों में फँसा रह गया!
🌷💐🌷
मुद्दतें गुज़रीं तेरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं.
💐🌷💐
शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर,
मैं ने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला...
💐🌷💐
क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं
वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं
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दिल मत टपक नज़र से कि पाया न जाएगा
जूँ अश्क फिर ज़मीं से उठाया न जाएगा
रात इक नादार का घर जल गया था और बस
लोग तो बे-वज्ह सन्नाटे से घबराने लगे
🍁💐🍁
कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला
और डूबने वालों का जज़्बा भी नहीं बदला
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बड़े वसूक़ से दुनिया फ़रेब देती रही
बड़े ख़ुलूस से हम ए'तिबार करते रहे
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उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं
बाइस-ए-तर्क-ए-मुलाक़ात बताते भी नहीं
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सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा,
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए
💐🍁💐
एक हुनर है चुप रहने का,
एक ऐब है कह देने का..
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दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है
आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है
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एक दिया कब रोक सका है रात को आने से
लेकिन दिल कुछ सँभला तो इक दिया जलाने से
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हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
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बहुत सटीक -
अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊंगा,
उसको छोटा कहके मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा।।
💐🍁💐
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना,
मुझे गुमाँ भी ना हो और तुम बदल जाना...
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अब समझ लेते हैं मीठे लफ़्ज़ की कड़वाहटें,
हो गया है ज़िंदगी का तजरबा थोड़ा बहुत...
💐🍁💐
आइना देख ज़रा क्या मैं ग़लत कहता हूँ
तू ने ख़ुद से भी कोई बात छुपा रक्खी है
💐🍁💐
क़रार दिल को सदा जिस के नाम से आया
वो आया भी तो किसी और काम से आया
💐🍁💐
जो एक लफ़्ज़ की ख़ुशबू न रख सका महफ़ूज़
मैं उस के हाथ में पूरी किताब क्या देता
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