Friday, 22 June 2018

पाप कर्म:

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था ....
राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था .... उसी समय एक
चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी ....
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने
फन से ज़हर निकाला .... तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था
उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बुंदे खाने में गिर गई ....
किसी को कुछ पता नहीं चला .... फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने
आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते हीं मौत हो गयी .. अब जब राजा
को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला .... तो ब्रम्ह-हत्या होने से उसे
बहुत दुख हुआ .... ....
ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया ..
कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईया .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय ....
वह जहरीला हो गया है ....
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....
बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका (Pending) रहा ....
फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए ....
और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ....
तो उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया .... पर रास्ता बताने के
साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि देखो भाई ....
" जरा ध्यान रखना .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में
जहर देकर मार देता है ...."
बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे .... उसी समय यमराज ने
फैसला (decision) ले लिया .... कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल .... इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ....
यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों .... ?? जब कि उन मृत ब्राह्मणों
की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका (role) भी नही थी ....
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो .... जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं ....
तब उसे बड़ा आनंद मिलता हैं .... पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना
तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला ....
ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ....
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस
महिला को जरूर आनंद मिला .... इसलिये राजा के उस अनजाने
पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ....
बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति ....
जब किसी दुसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से (बुराई) करता हैं ....
तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा .... उस बुराई करने वाले के खाते
में भी डाल दिया जाता हैं ....
अक्सर हम जीवन में सोचते हैं .... कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप
नही किया .... फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया .... ??
ये कष्ट और कहीं से नही .... बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण ....
उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं .... जिनको यमराज बुराई करते ही
हमारे खाते में ट्रांसफर कर देते हैं ....
इसलिये आज से ही संकल्प कर लो .... " कि किसी के भी पाप-कर्मों का
बखान बुरे भाव से कभी नही करना " .... " यानी किसी की भी बुराई या
चुगली कभी नही करनी हैं " .... लेकिन यदि फिर भी हम ऐसा करते हैं ....
" तो हमें ही इसका फल जरूर भुगतना पड़ेगा .... बस आज नहीं हो कल " .... !!!!

Friday, 15 June 2018

पुजारी और नाई:

पुजारी और नाई
(जो बाल काँटता है) दोनों मित्र थे|
💫✨💥
नाई हमेशा पुजारी से कहता है, ईश्वर हमेशा ऐसा क्यों करता है, वैसा क्यों करता है ? यहाँ बाढ़ आ गई, वहाँ सूखा हो गया, यहाँ एक्सीडेंट हुआ, यहाँ भुखमरी चल रही है, नौकरी नहीं मिल रहीं हमेशा लोगों को ऐसी बहोत सारी परेशानियां बताता रहता है | तो उस पुजारी ने उसे एक इंसान से मिलाया | जो भिखारी था, बाल बहोत बढ़े थे, दाढ़ी भी बहोत बढ़ी थी और उस नाई  को कहां देखो उस इंसान को जिसके बाल बढ़े हुए हैं, दाढ़ी भी बहोत बढ़ी हुई है | तुम्हारे होतें हुए ऐसा क्यों है ? 

नाई बोला अरे उसने मेरे साथ संपर्क ही नहीं किया | पुजारी ने भी बताया यही तो बात है |

जो लोग ईश्वर से संपर्क करते हैं उनका दुःख खतम हो जाता है | लोग संपर्क ही नहीं करतें और कहतें हैं दुःख क्यों है ?

जो संपर्क करेगा वो दुःख से मुक्त हो जाएगा

Monday, 11 June 2018

काफिला:

[5/28, 11:36 AM] Bansi Lal: मेरी समंदर से मुहब्बत, कुछ उसके साहिलों की है |

रेत के हर जर्रे में कहानी, कितने ही काफिलों की है |                                                                                                                                                                                        🍃🌸🍃
[6/2, 8:57 AM] Bansi Lal: "एक एक कर इतनी कमियां निकाली लोगों ने मुझमें,

की अब बस "खुबियां" ही रह गयी हैं मुझमें...
🍃🍂🍃
[6/3, 6:24 AM] Bansi Lal: रुलाये बगैर तो प्याज भी नही कटता,

फिर ये तो #जिदंगी है ।
💐💐💐
[6/3, 6:25 AM] Bansi Lal: बहुत उदास था उस दिन मगर हुआ क्या था

हर एक बात भली थी तो फिर बुरा क्या था
💐💐💐
[6/3, 6:25 AM] Bansi Lal: तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए

कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
💐💐💐
[6/3, 6:26 AM] Bansi Lal: “जलो वहां जहाँ जरूरत हो, उजालों में चिरागों के मायने नहीं होते..”
💐💐💐
[6/3, 6:28 AM] Bansi Lal: न पूछिए कि शब-ए-हिज्र हम पे क्या गुज़री

तमाम रात जले शम-ए-अंजुमन की तरह
💐💐💐
[6/3, 6:36 AM] Bansi Lal: इतना तो मुझे याद है कुछ उस ने कहा था

क्या उस ने कहा था ये मुझे याद नहीं है
💐💐💐
[6/3, 6:38 AM] Bansi Lal: आइना देख ज़रा क्या मैं ग़लत कहता हूँ

तू ने ख़ुद से भी कोई बात छुपा रक्खी है
💐💐💐
[6/4, 8:06 AM] Bansi Lal: महफ़िल में जो हमे दाद देने से कतराते हैं,

सुना है तन्हाइयों में वो हमारी शायरी गुनगुनाते हैं...

💐💐💐
[6/4, 10:17 AM] Bansi Lal: बाहर सारे मैदाँ जीत चुका था वो

घर लौटा तो पल भर में ही टूटा था
💐💐💐
[6/5, 6:44 AM] Bansi Lal: मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बने

तू समझता है मुझे तुझ से गिला कुछ भी नहीं
💐💐💐
[6/6, 10:43 AM] Bansi Lal: उस को देखा तो ये महसूस हुआ

हम बहुत दूर थे ख़ुद से पहले
💐💐💐
[6/6, 10:44 AM] Bansi Lal: ये शहर-ए-तिलिस्मात है कुछ कह नहीं सकते

पहलू में खड़ा शख़्स फ़रिश्ता कि बला है
💐💐💐
[6/6, 10:45 AM] Bansi Lal: दीवार ओ दर झुलसते रहे तेज़ धूप में

बादल तमाम शहर से बाहर बरस गया
💐💐💐
[6/6, 8:25 PM] Bansi Lal: ज़िंदगी इक सवाल है जिस का जवाब मौत है

मौत भी इक सवाल है जिस का जवाब कुछ नहीं
💐💐💐
[6/7, 10:58 AM] Bansi Lal: जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..

सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...
💐💐💐
[6/7, 12:45 PM] Bansi Lal: रिश्तों में ना रखा करो, हिसाब नफ़े और नुकसान का।

ज़िन्दगी की पाठशाला में,  गणित का कमज़ोर होना अच्छा है
💐💐💐

Friday, 1 June 2018

मेहनत जी आदत:

*💐~ मेहनत की आदत ~💐*

एक बार की बात है, एक आदमी जो पेशे से दुकानदार था बड़ा दुखी रहता था क्यूंकि उसका बेटा बहुत आलसी और गैरजिम्मेदार था वह हमेशा दोस्तों के साथ मस्ती करता रहता था ।

जबकि वह अपने पुत्र को एक मेहनती इंसान बनाना चाहता था। वह काफ़ी बार अपने पुत्र को डाँटता था लेकिन पुत्र उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था ।

एक दिन उसने अपने पुत्र से कहा कि आज तुम घर से बाहर जाओ और शाम तक कुछ अपनी मेहनत से कमा के लाओ नहीं तो आज शाम को खाना नहीं मिलेगा ।

लड़का पहुत परेशान हो गया वह रोते हुए अपनी माँ के पास गया और उन्हें रोते हुए सारी बात बताई माँ का दिल पसीज गया और उसने उसे एक सोने का सिक्का दिया कि जाओ और शाम को पिताजी को दिखा देना ।

लड़के ने वैसे ही किया शाम को जब पिता ने पूछा कि क्या कमा कर लाए हो तो उसने वो सोने का सिक्का दिखा दिया ।

पिता यह देखकर सारी बात समझ गया । उसने पुत्र से वो सिक्का कुएँ मे डालने को कहा, लड़के ने खुशी खुशी सिक्का कुएँ में फेंक दिया ।

अगले दिन पिता ने माँ को अपने मायके भेज दिया और लड़के को फिर से कमा के लाने को कहा । अबकी बार लड़का रोते हुए बड़ी बहन के पास गया तो बहन ने दस रुपये दे दिए ।

लड़के ने फिर शाम को पैसे लाकर पिता को दिखा दिए । पिता ने कहा कि जाकर कुएँ में डाल दो लड़के ने फिर डाल दिए।

अब पिता ने बहन को भी उसके ससुराल भेज दिया । अब फिर लड़के से कमा के लाने को कहा ।

अब तो लड़के के पास कोई चारा नहीं था वह रोता हुआ बाजार गया और वहाँ उसे एक सेठ ने कुछ लकड़ियाँ अपने घर ढोने के लिए कहा और कहा कि बदले में दो रुपये देगा । लड़के ने लकड़ियाँ उठाईं और सेठ के साथ चल पड़ा रास्ते में चलते चलते उसके पैरों में छाले पड़ गये और हाथ पैर भी दर्द करने लगे ।

शाम को जब पिताजी को दो रुपये दिखाए तो पिता ने फिर कहा की बेटा कुएँ मे डाल दो तो लड़का गुस्सा होते हुए बोला कि मैने इतनी मेहनत से पैसे कमाए हैं और आप कुएँ में डालने को बोल रहे हैं।

पिता ने मुस्कुराते हुए कहा कि यही तो मैं तुम्हें सिखाना चाहता था ,तुमने सोने का सिक्का तो कुएँ में फेंक दिया लेकिन दो रुपये फेंकने में डर रहे हो क्यूंकि ये तुमने मेहनत से कमाए हैं ।

अबकी बार पिता ने दुकान की चाबी निकाल कर बेटे के हाथ में दे दी और बोले कि आज वास्तव में तुम इसके लायक हुए हो, क्यूंकि आज तुम्हें मेहनत का अहसास हो गया है l

🙏🙏

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...