Tuesday, 15 November 2016

A new day today:

हैरान हूँ मैं खुद-ब-खुद अपने सब्र का पैमाना देख कर..

उसने याद नहीं किया और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा..
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बाप पतंग उड़ा रहा था  बेटा ध्यान से देख रहा था

थोड़ी देर बाद बेटा बोला पापा ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है इसे तोड़ दो

बाप ने धागा तोड़ दिया

पतंग थोडा सा और ऊपर गई और उसके बाद निचे आ गई

तब बाप ने बेटे को समझाया

बेटा जिंदगी में हम जिस उचाई पर है,
     हमें अक्सर लगता है ,
       की कई चीजे हमें
          और ऊपर
           जाने से 
         रोक रही है,
जैसे
            घर,
          परिवार,
        अनुशासन,
           दोस्ती,

और हम उनसे आजाद होना चाहते है,
मगर यही चीज होती है
जो हमें उस उचाई पर बना के रखती है.

उन चीजो के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे
मगर
बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो पतंग का हुआ.

इसलिए जिंदगी में कभी भी
          अनुशासन का,
           घर का ,
           परिवार का,
           दोस्तों का,
     रिश्ता कभी मत तोड़ना..
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वो कहते हैं छोड़ देंगे बीच समंदर में हमें,
वो भूल गए तूफानों से था आगाज हमारा..

मेरे दिल में था कि कहूँगा मैं, यह जो दिल में रंजो-मलाल था !!
वह जब आ गया मेरे सामने, तो न रंज था न मलाल था !!

हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो !!
ये ज़िन्दगी तो है रहमत; इसे सज़ा न कहो !!

Sometimes, to get someones attention, you have to STOP giving them yours

Don’t be happy for a particular reason,
Because that happiness end when reason ends!

Be happy without any reason;
you will be happy in every season !!

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