कुछ दिनों से उदास रह
रही अपनी बेटी को देखकर माँ ने
पूछा,
”क्या हुआ बेटा, मैं देख रही हूँ तुम बहुत
उदास रहने लगी हो, सब
ठीक तो है न?”
”कुछ भी ठीक नहीं है माँ, ऑफिस में
बॉस की फटकार,
दोस्तों की बेमतलब की नाराजगी,
पैसो की दिक्कत, मेरा मन
बिल्कुल अशांत रहने लगा है माँ, जी में
तो आता है कि ये सब छोड़
कर कहीं चली जाऊं”, बेटी ने रुआंसे होते
हुए कहा।
माँ ये सब सुनकर गंभीर हो गयीं और
बेटी का सिर सहलाते हुए
किचन में ले गयी।
वहां उन्होंने तीन बरतन उठाये और
उनमें पानी भर दिया। उसके
बाद उन्होंने पहले बरतन में गाजर,
दूसरे में अंडे और तीसरे में कुछ
चाय पत्ती डाल दी।
फिर उन्होंने तीनों बरतनों को चूल्हे
पे चढ़ा दिया और बिना कुछ
बोले उनके खौलने का इंतज़ार करने
लगीं।
कुछ समय बाद, गाजर और अंडे अलग
प्लेट्स में निकाल दिए और
एक मग में चाय उड़ेल दी।
माँ बोलीं,”अब इन्हें छु कर देखो!"
बेटी ने छू कर देखा, गाजर नर्म
हो चुकी थी।
बेटी ने एक अंडा हाथ में लिया और
देखने लगी, अंडा बाहर से
तो पहले जैसा ही था पर अन्दर से
सख्त हो चुका था।
और मग में चाय बन चुकी थी।
माँ बोलीं, ”इन तीनों चीजों को एक
ही तकलीफ से होकर
गुजरना पड़ा-खौलता पानी। लेकिन
हर एक ने अलग अलग तरीके
से रियेक्ट किया।
गाजर पहले तो ठोस थी पर खौलते
पानी रुपी मुसीबत आने पर
कमजोर और नरम पड़ गयी।
वहीं अंडा पहले ऊपर से सख्त और अन्दर
से नरम था पर मुसीबत
आने के बाद उसे झेल तो गया पर वह
अन्दर से बदल गया, कठोर
हो गया, सख्त दिल बन गया।
लेकिन चाय पत्ती तो बिल्कुल अलग
थीं, उसके सामने जो दिक्कत
आयी उसका सामना किया और मूल रूप
खोये बिना खौलते
पानी रुपी मुसीबत को चाय की सुगंध
में बदल दिया…
”तुम इनमें से कौन हो ?” माँ ने बेटी से
पूछा।
”जब तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई
दिक्कत आती है तो तुम किस तरह
रियेक्ट करती हो ?
बेटी माँ की बात समझ चुकी थी।
दोस्तों, जीवन है तो उतार-चढ़ाव
तो ताउम्र आते-जाते रहेंगे,
लेकिन हमें अपने आप से वादा करना है,
कि हम
कभी भी किसी भी विषम
परिस्थिति में उदास, दुखी, अवसाद
ग्रस्त
नहीं होंगे और विपरीत
परिस्थितियों का सामना,
हमेशा अच्छे से
डट कर करेंगे।
Tuesday, 4 November 2014
Don't worried of problems
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