इक नए अवतार का पुतला तलाशा जायेगा .....
जुल्म की खातिर नया रस्ता तलाशा जायेगा ....
फिर सलीबों में लहू की प्यास जागी है यहाँ
फिर जहाँ में इक नया ईसा तलाशा जायेगा .....
बेरुखी पर तेरी मुझे कोई गिला नहीं तुझसे, पतझड़ में तो हर पत्ता पेड़ो को छोड़ देता है !!
रौशनी की उम्मीद हमेशा दिल में रखता हूँ , यही वो ज़ज्बा है जो तूफानों को मोड़ देता है !!
जीने के लिए मुझे एक सपना दे दो !
हकीकत मेरी जान लिए जा रही हैं.!!
हादसों की ज़द में हैं तो क्या मुस्कुराना छोड़ दें ,
जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें ..
जब किसी चीज कि अति हो जाती है तो समझ लेना चाहिए कि उसका अंत निकट है!
जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किसको थी ;
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे !!
जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों से ;
जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे !!
मुसीबत में शरीफों की शराफत कम नहीं होती!
सोने के करो दो टुकडें उसकी कीमत कम नहीं होती.!!
"ये कहके मेरे दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गए;
तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए"
जीवन के किसी मुश्किल मोड़ पर हमारे लिए गए फैसले को जो लोग धुत्कारते है, उसी मोड़ पर उनके फैसले भी हमारे वाले ही होते है
"काश की आज कुछ ऐसा हो जाए, मैं तुम्हे पुकारू और तू मेरे पास आ जाए !
ना पूछो हमे रात का तस्सवुर, कहीं ये गीले तकिये गवाह ना हो जाए......!!"
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
जुल्म की खातिर नया रस्ता तलाशा जायेगा ....
फिर सलीबों में लहू की प्यास जागी है यहाँ
फिर जहाँ में इक नया ईसा तलाशा जायेगा .....
बेरुखी पर तेरी मुझे कोई गिला नहीं तुझसे, पतझड़ में तो हर पत्ता पेड़ो को छोड़ देता है !!
रौशनी की उम्मीद हमेशा दिल में रखता हूँ , यही वो ज़ज्बा है जो तूफानों को मोड़ देता है !!
जीने के लिए मुझे एक सपना दे दो !
हकीकत मेरी जान लिए जा रही हैं.!!
हादसों की ज़द में हैं तो क्या मुस्कुराना छोड़ दें ,
जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें ..
जब किसी चीज कि अति हो जाती है तो समझ लेना चाहिए कि उसका अंत निकट है!
जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किसको थी ;
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे !!
जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों से ;
जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे !!
मुसीबत में शरीफों की शराफत कम नहीं होती!
सोने के करो दो टुकडें उसकी कीमत कम नहीं होती.!!
"ये कहके मेरे दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गए;
तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए"
जीवन के किसी मुश्किल मोड़ पर हमारे लिए गए फैसले को जो लोग धुत्कारते है, उसी मोड़ पर उनके फैसले भी हमारे वाले ही होते है
"काश की आज कुछ ऐसा हो जाए, मैं तुम्हे पुकारू और तू मेरे पास आ जाए !
ना पूछो हमे रात का तस्सवुर, कहीं ये गीले तकिये गवाह ना हो जाए......!!"
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
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