Wednesday, 12 March 2014

दिल की जिद्द हो तुम, वरना... इन आँखों ने हसीन बहुत देखे हैं....।

चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब से... धोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले !!

"आरजू" होनी चाहिए किसी को याद करने की । "लम्हे" तो अपने आप मिल जाते है।।

Sunday, 9 March 2014

इक नए अवतार का पुतला तलाशा जायेगा ..... जुल्म की खातिर नया रस्ता तलाशा जायेगा ....


इक नए अवतार का पुतला तलाशा जायेगा .....
जुल्म की खातिर नया रस्ता तलाशा जायेगा ....

फिर सलीबों में लहू की प्यास जागी है यहाँ
फिर जहाँ में इक नया ईसा तलाशा जायेगा .....

बेरुखी पर तेरी मुझे कोई गिला नहीं तुझसे, पतझड़ में तो हर पत्ता पेड़ो को छोड़ देता है !!

रौशनी की उम्मीद हमेशा दिल में रखता हूँ , यही वो ज़ज्बा है जो तूफानों को मोड़ देता है !!

जीने के लिए मुझे एक सपना दे दो !

हकीकत मेरी जान लिए जा रही हैं.!!

हादसों की ज़द में हैं तो क्या मुस्कुराना छोड़ दें ,


जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें ..
जब किसी चीज कि अति हो जाती है तो समझ लेना चाहिए कि उसका अंत निकट है!

जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किसको थी ;

अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे !!
जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों से ;
जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे !!

मुसीबत में शरीफों की शराफत कम नहीं होती!

सोने के करो दो टुकडें उसकी कीमत कम नहीं होती.!!

"ये कहके मेरे दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गए; 

तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए"

जीवन के किसी मुश्किल मोड़ पर हमारे लिए गए फैसले को जो लोग धुत्कारते है, उसी मोड़ पर उनके फैसले भी हमारे वाले ही होते है


"काश की आज कुछ ऐसा हो जाए, मैं तुम्हे पुकारू और तू मेरे पास आ जाए !

ना पूछो हमे रात का तस्सवुर, कहीं ये गीले तकिये गवाह ना हो जाए......!!"

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,

इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

उस शख्स का चराग़ जलाना कमाल था... साँपों को क़ैद कर लिया ये कह कर सपेरे ने,  के इंसान को डसने के लिए तो इंसान ही काफ़ी है. खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती


जान जब प्यारी थी, तब दुश्मन हज़ारों थे..
अब मरने का शौक है, तो क़ातिल नहीं मिलते...!!



मेरी शायरी को इतनी शिद्दत से ना पढ़िए.. 
गलती से कुछ याद हो गया तो मुझे भुला ना पाओगे ..!! 



जिस वक़्त रौशनी का तसव्वुर मुहाल था.
उस शख्स का चराग़ जलाना कमाल था...


साँपों को क़ैद कर लिया ये कह कर सपेरे ने, 
के इंसान को डसने के लिए तो इंसान ही काफ़ी है.

खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती , 
तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती ......

तेरे मनाने को ही तो रूठ जाते हैं
वरना तेरी तो हर बात प्यारी लगती है हमें
ग़ज़ब किया तेरे वादे का एतबार किया....

Thursday, 6 March 2014

साँपों को क़ैद कर लिया ये कह कर सपेरे ने,

साँपों को क़ैद कर लिया ये कह कर सपेरे ने, के इंसान को डसने के लिए तो इंसान ही काफ़ी है. 

करेगा ज़माना भी कद्र हमारी एक दिन, बस हमारी ये वफ़ा करने की लत मिट जाये.
 
"ज़ख्म दे कर ना पूछ दर्द की शिददत ज़ालिम, दर्द तो दर्द है... थोडा क्या ज्यादा क्या..."
 
बिखर जाने की ख्वाइश तो थी हमारी उस फूल पर...
जो उगता तो था मंदिर ही के पास, पर चढ़ावे के वो काबिल न था!
 
"हमने ही लौटने का इरादा नहीं किया उसने भी भूल जाने का वादा नहीं किया।
उसे पाकर तुम अपने आप को भी भूल बैठे हो; किसी पर इतनी भी दीवानगी अच्छी नहीं होती!!
तकदीरें बदल जाती हैं, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद हो;
वर्ना ज़िन्दगी कट ही जाती है 'तकदीर' को इल्ज़ाम देते देते!
"जिनको मिली है, ताक़त दुनिया सँवारने की...
खुदगर्ज आज उनका ईमान हो रहा है...!!"
 
कौन रोता है किसी और के खातिर ऐ दोस्त, सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया - साहिर
पीने दे शराब मस्जिद में बैठ के ग़ालिब..... या वो जगह बता दे, जहाँ खुदा न हो....!!
" खुदा करे मुझको कभी मंजिल न मिले........बड़ी मुश्किल से वो राज़ी हुआ है साथ चलने को....!!"
यहाँ हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता है, खिलौना है जो मिटटी का ,फ़ना होने से डरता है.
बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा .. बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें
 
कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है!
जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है!
तेरे चेहरे की उदासी बता रही है!
मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है!
कहने वालों का कुछ नहीं जाता, सहने वाले कमाल करते हैं, कौन ढूंढें जवाब दर्दों के, लोग तो बस सवाल करते हैं !!
 
उन्हें ये जिद के मुझे देखकर किसी को ना देखे....... हमें ये शौक..के सबको सलाम करता चलूँ...
शुक्रिया मुहब्बत तुने मुझे गम दिया, वरना शिकायत थी ,ज़िन्दगी ने जो भी दिया .. कम दिया |||
तुम्हें दिल में रख लेता अगर होता मेरे बस में .... तुम्हें सब देखें .. मुझसे ये देखा नहीं जाता
मेरे इश्क से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत || तेरा जिक्र ही कहाँ था, मेरी दास्तान से पहले
मिल ही जायेगा हम को भी कोई टूट के चाहने वाला..., अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता...!
सूखे पत्तों की तरह बिखरे थे हम मुद्दत से, किसी ने आज समेटा भी तो जलाने के लिए..
चलो उस खुदा का अहसान लेते है , वो मिन्नत से नही माना अब मन्नत से मांग लेते है ।
बात मुक़द्दर पे आ रुकी है वर्ना .... कोई क़सर तो ना छोड़ी थी,तुझे चाहने में 
आंसू छलक पड़े तो मेरी लाज रह गयी .. वर्ना .... इज़हार-ऐ-ग़म का सलीका ना था मुझे
 

Sunday, 2 March 2014

Shair:


भरी बरसात में उड कर दिखा ए माहिर परिंदे,
आसमान खुला हो तो तिनके भी सफर कीया करते है



एहसास बदल जाते हैं बस और कुछ नहीं;
वरना मोहब्बत और नफरत एक ही दिल से होती है।

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...