मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशे अधूरी हैं,
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी है!
ख़ुदा के वास्ते मुझे अब ज़िंदा ना समझ, ये मेरा हुनर हे के ज़िंदा मे नज़र आता हूँ ~~
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत, ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है---वसीम बरेलवी
"मुझे क्या हक़ है के किसी को मतलबी कहु ??....
मै तो खुद अपने रब को मुसीबतों मे याद करता हु !"
रोशनी घबरा गयी देख कर अंधेरा मेरा,
कुछ इस कदर से जीता हूँ मैं उजालो मे!!!
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..
"इश्क 'महसूस' करना भी ...इबादत से कम नहीं, ज़रा बताइये.... 'छू कर' खुदा को किसने देखा है..
उसका हमेशा दरिद्र रहना लाजिमी है ......
जो बेटा बूढ़े माँ -बाप को कमाई नहीं देता....
लफ़्ज़ों से फतह करता हूँ लोगो के दिलों को....
में ऐसा बादशाह हूँ ,जो कभी लश्कर नहीं रखता...."
इस तमाम कायनात में कोई नहीं है उस जैसा !!
बस मुश्किल इतनी है कि वो खुद ये मानता नहीं !!
"चिंगारी का खौफ न दो हमें, दिल में आग का दरिया बसाये बैठे हैं......
दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी, भीड़ तो बस फ़र्ज़ अदा करती है!
वो शख़्स जो झुक के तुमसे मिला होगा... य़कीऩन उसका क़द तुमसे बड़ा होगा...
तू रूठा रूठा सा लगता है...
कोई तरकीब बता मनाने की
मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा
तू क़ीमत बता मुस्कुराने की"
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी है!
ख़ुदा के वास्ते मुझे अब ज़िंदा ना समझ, ये मेरा हुनर हे के ज़िंदा मे नज़र आता हूँ ~~
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत, ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है---वसीम बरेलवी
"मुझे क्या हक़ है के किसी को मतलबी कहु ??....
मै तो खुद अपने रब को मुसीबतों मे याद करता हु !"
रोशनी घबरा गयी देख कर अंधेरा मेरा,
कुछ इस कदर से जीता हूँ मैं उजालो मे!!!
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..
"इश्क 'महसूस' करना भी ...इबादत से कम नहीं, ज़रा बताइये.... 'छू कर' खुदा को किसने देखा है..
उसका हमेशा दरिद्र रहना लाजिमी है ......
जो बेटा बूढ़े माँ -बाप को कमाई नहीं देता....
लफ़्ज़ों से फतह करता हूँ लोगो के दिलों को....
में ऐसा बादशाह हूँ ,जो कभी लश्कर नहीं रखता...."
इस तमाम कायनात में कोई नहीं है उस जैसा !!
बस मुश्किल इतनी है कि वो खुद ये मानता नहीं !!
"चिंगारी का खौफ न दो हमें, दिल में आग का दरिया बसाये बैठे हैं......
दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी, भीड़ तो बस फ़र्ज़ अदा करती है!
वो शख़्स जो झुक के तुमसे मिला होगा... य़कीऩन उसका क़द तुमसे बड़ा होगा...
तू रूठा रूठा सा लगता है...
कोई तरकीब बता मनाने की
मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा
तू क़ीमत बता मुस्कुराने की"
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