Thursday, 27 February 2014

Bansi.like


इस तमाम कायनात में कोई नहीं है उस जैसा !!बस मुश्किल इतनी है कि वो खुद ये मानता नहीं !! 



हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह, वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..


पढ़नेवाले की कमी है ..... वरना ..... गिरते आँसू भी एक किताब है .



काश मे लौट आऊ ऊन बचपन की गलीयो मे,जहाँ ना कोई जरुरी था और ना कोई जरुरत थी!!



करेगा ज़माना भी कद्र हमारी एक दिन, बस हमारी ये वफ़ा करने की लत मिट जाये.



"क़दर किरदार की होती है... वरना... कद में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है....



उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी में, पर बेवजह खुश रहने का मजा कुछ और है । 



फूल बनकर क्या जिना एकदिन मुर्झा कर फेक दिये जाओगे, जिना है तो पत्थर बनकर् जियो कभी तराशे गये तो खुदा केहलाओगे|

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