Thursday, 27 February 2014

Bansi.like


इस तमाम कायनात में कोई नहीं है उस जैसा !!बस मुश्किल इतनी है कि वो खुद ये मानता नहीं !! 



हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह, वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..


पढ़नेवाले की कमी है ..... वरना ..... गिरते आँसू भी एक किताब है .



काश मे लौट आऊ ऊन बचपन की गलीयो मे,जहाँ ना कोई जरुरी था और ना कोई जरुरत थी!!



करेगा ज़माना भी कद्र हमारी एक दिन, बस हमारी ये वफ़ा करने की लत मिट जाये.



"क़दर किरदार की होती है... वरना... कद में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है....



उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी में, पर बेवजह खुश रहने का मजा कुछ और है । 



फूल बनकर क्या जिना एकदिन मुर्झा कर फेक दिये जाओगे, जिना है तो पत्थर बनकर् जियो कभी तराशे गये तो खुदा केहलाओगे|

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रोशनी घबरा गयी देख कर अंधेरा मेरा,
कुछ इस कदर से जीता हूँ मैं उजालो मे!!!

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Bansi.like. 2

रंज ये नहीं की जो मिले वो पत्थर के लोग थे, 


अफसोस ये है के उनमे कुछ मेरे घर के लोग थे...

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Bansi.like. 3

रंज ये नहीं की जो मिले वो पत्थर के लोग थे, अफसोस ये है के उनमे कुछ मेरे घर के लोग थे...

Bansi.like. 4

हर बार कोई न कोई छोड़ जाता है मुझे तनहा.. मै मजबूत तो बहुत हूँ पर पत्थर तो नही..।।

Bansi.like. 5

मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशे अधूरी हैं,

मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी है!


ख़ुदा के वास्ते मुझे अब ज़िंदा ना समझ, ये मेरा हुनर हे के ज़िंदा मे नज़र आता हूँ ~~

दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत, ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है---वसीम बरेलवी

"मुझे क्या हक़ है के किसी को मतलबी कहु ??....

मै तो खुद अपने रब को मुसीबतों मे याद करता हु !"


रोशनी घबरा गयी देख कर अंधेरा मेरा,
कुछ इस कदर से जीता हूँ मैं उजालो मे!!!


मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..

"इश्क 'महसूस' करना भी ...इबादत से कम नहीं, ज़रा बताइये.... 'छू कर' खुदा को किसने देखा है..

उसका हमेशा दरिद्र रहना लाजिमी है ......

जो बेटा बूढ़े माँ -बाप को कमाई नहीं देता....


लफ़्ज़ों से फतह करता हूँ लोगो के दिलों को....

में ऐसा बादशाह हूँ ,जो कभी लश्कर नहीं रखता...."
 
 
 
 
 
 
 


इस तमाम कायनात में कोई नहीं है उस जैसा !!

बस मुश्किल इतनी है कि वो खुद ये मानता नहीं !!
 


"चिंगारी का खौफ न दो हमें, दिल में आग का दरिया बसाये बैठे हैं......

दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी, भीड़ तो बस फ़र्ज़ अदा करती है!

वो शख़्स जो झुक के तुमसे मिला होगा... य़कीऩन उसका क़द तुमसे बड़ा होगा...

तू रूठा रूठा सा लगता है...
कोई तरकीब बता मनाने की

मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा
तू क़ीमत बता मुस्कुराने की"
 
 
 
 

Monday, 24 February 2014

bansi: मेरे पीठ पर जो जख्म है वो अपनों की निशानी हैं, वर...

bansi: मेरे पीठ पर जो जख्म है वो अपनों की निशानी हैं,
वर...
: मेरे पीठ पर जो जख्म है वो अपनों की निशानी हैं, वरना सीना तो आज भी दुश्मनो के इंतजार मे बैठा है." कभी सागर छलका दिया कभी एक बूँद को ...

Ghazal - Aap Ko Dekh Kar Dekhta Reh - Jagjit Singh

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