[11/22, 7:49 AM] Bansi Lal: संभाल सकते थे तुम रिश्तों को !
तुमने मगर
तस्वीरों को संभालना चुना !
[11/22, 7:50 AM] Bansi Lal: वो शख़्स था के एहसान कोई....
दिल से मेरे अब तक उतरा नहीं...!
[11/23, 9:02 PM] Bansi Lal: यह हक़ सिर्फ़ झूठ को है
कि वह ज़ोर से बोले
और विशिष्ट बना रहे...
[11/23, 9:09 PM] Bansi Lal: बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
[11/23, 9:10 PM] Bansi Lal: "..अतिथि केवल देवता नहीं होता।
वह मनुष्य और कई बार राक्षस भी हो सकता है।"
[11/23, 9:12 PM] Bansi Lal: "बिना ज़रूरत बोल पड़ने का पश्चाताप उतना कभी नहीं होता, जितना ज़रूरत होते हुए चुप रह जाने का।"
[11/23, 9:13 PM] Bansi Lal: अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को
मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं
[11/23, 9:14 PM] Bansi Lal: ये हुनर जो आ जाये, आपका ज़माना है
पाँव किसके छूने हैं, सर कहाँ झुकाना है