Tuesday, 5 January 2016

अहसास कीमती है ज़रा कम खर्च के करो:

Bansi: काट आए हैं एक उम्र हम ..

उस एक पल के ख़्वाब में !

Bansi: लाख समझाया मगर ज़िद पे अड़ी है अब भी
कोई उम्मीद मेरे पीछे पड़ी है अब भी

Bansi: या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों
या जिन्हें ख़ामोश रहने की सज़ा मालूम है

Bansi: रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ,

तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया...

Bansi: वो देखें तो उनकी इनायत,ना देखें तो रोना क्या,

जो दिल गैर का हो उसका होना क्या ना होना क्या.

Bansi: देखना हश्र में जब तुम पे मचल जाऊँगा
मैं भी क्या वादा तुम्हारा हूँ कि टल जाऊँगा

Bansi: समुंदरों के सफ़र जिन के नाम लिखे थे,

उतर गए वो किनारों पे कश्तियाँ ले कर...

Bansi: हम ने किरदार को कपड़ों की तरह पहना है,

तुम ने कपड़ों ही को किरदार समझ रखा है
Bansi: रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना,

सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया

Bansi: औरों से रूठने की फुर्सत कहाँ,

हम तो अपने वुजूद से खफा बैठे हैं!

Bansi: रुक गई आज ये कहकर मेरी क़लम...

एहसास कीमती है, ज़रा कम खर्च करो!

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