Monday, 16 November 2015

New Morning:

नयन का नयन से, नमन हो रहा है
लो उषा का आगमन हो रहा है

परत दर परत, चांदनी कट रही है
तभी तो निशा का, गमन हो रहा है

क्षितिज पर अभी भी हैं, अलसाये सपने
पलक खोल कर भी, शयन हो रहा है

झरोखों से प्राची की पहली किरण का
लहर से प्रथम आचमन हो रहा है

हैं नहला रहीं, हर कली को तुषारें
लगन पूर्व कितना जतन हो रहा है

वहीं शाख पर पँक्षियों का है कलरव
प्रभाती-सा लेकिन, सहन हो रहा है

बढ़ी जा रही जिस तरह से अरुणिमा
है लगता कहीं पर हवन हो रहा है

मधुर मुक्त आभा, सुगंधित पवन है
नये दिन का कैसा सृजन हो रहा है।   

No comments:

Post a Comment

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...