Wednesday, 30 September 2015

मुझे किसी के बदल जाने का गम नही :

बदलने को हम भी बदल जाते,
फिर अपने आप को क्या मुंह दिखाते ।
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उसने होठो से छू कर दरिया का पानी गुलाबी कर दिया...
हमारी तो बात और थी उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया....!!
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तेरे ख्याल में जब भी
बे-ख्याल होता हूँ...
कुछ देर के लिए ही सही
बे-मिसाल हो जाता हूँ...!!
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जब से उसने शहर को छोड़ा, हर रस्ता सुनसान हुआ,
अपना क्या है सारे शहर का एक जैसा नुक़सान हुआ
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हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे,
पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता....
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"पागल" हर वक़्त पूछती है की मैं कौन हूँ आपकी?
उसे यह ही नहीं पता की, मैं ही उसका पागलपन हूँ।
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बहुत बदल गए हो, अच्छी बात हैं,,,!
पर हमारे बगैर अपना ख़याल रखना भी सिख लेना...!!
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पहले पहल चाहतों की एक खरोंच सी लगती है,
फिर खरोंच से जख़्म..और जख्म से नासूर बन जाता है।
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मेरी औकात से बाहर मुझे कुछ न देना मेरे मालिक...
क्योंकि,
जरुरत से ज्यादा रोशनी भी इंसान को अँधा बना देती हैं...!!!
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मुझे किसी के बदल जाने का गम नही ,
बस कोई था,
जिस पर खुद से ज्यादा भरोसा था…
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"जरुरी नही की कुछ तोड़ने के लिए पत्थर ही मारा जाऐ...
लहजा बदल कर बोलने से भी बहुत कुछ टूट जाता है...!!!"
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ज़िन्दगी में सब लोग दोस्त या
रिश्तेदार बन कर नहीं आते...
कुछ लोग "सबक" बन कर भी आते है
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तुम्हे हक है अपनी जिन्दगी जैसे चाहो जियो तुम
बस जरा एक पल के लिए सोचना
मेरी जिन्दगी हो तुम...
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“अपनाने के लिये हजार खूबियाँ भी कम पड जाती है ...,
और छोडने के लिये बस एक कमी ही काफी है...।”
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दूरियाँ जब बढ़ी तो गलतफहमियां भी बढ़ गयी,
फिर तुमने वो भी सुना जो मैंने कहा ही नहीं।
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यूँ तो कोई शिकायत नहीं मुझे मेरे आज से
मगर...
कभी-कभी बीता हुआ कल बहुत याद आता
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