जीवन में बुरी आदत पर विजय प्राप्त करने की तुलना में कोई इससे बड़ा नहीं हो सकता।
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गर सियाह-बख़्त ही होना था नसीबों में मेरे...
ज़ुल्फ़ होता तेरे रुख़सार कि या तिल होता..!
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10% of conflicts are due to difference of opinion, 90% due to tone of voice & body language.
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मिट्टी भी जमा की,
और खिलौने भी बना कर देखे...
ज़िन्दगी कभी न
मुस्कुराई फिर बचपन की तरह...
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जब मोहब्बत बेहिसाब की,
तो जख्मो का हिसाब क्या करना..
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अक्ल कहती है मारा जाएगा,
दिल कहता है देखा जाएगा...
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चल तलाशते है तरीका कोई ऐसा...
हौले-हौले हवा भी बहे और चिराग भी जलता रहे..
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बस इतनी सी बात समंदर को खल गयी
कि कागज़ की नाव उसमें कैसे तैर गयी !
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हकीकत थी...ख्वाब था...या तुम थे...
जो भी था...हम तो उसी में गुम थे....
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बीती रात की उदासियाँ अभी भी मौजूद ही थी…
बहला ही रहा था दिल को, कि फिर रात हो गयी….
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लोग समझते थे की हम उनका साथ छूटा इसलिये रोते थे..
वो कहा जानते थे की हम तो असल में उनकी फूटी किस्मत पे रोया करते थे..!
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औकात क्या है तेरी ऐ जिंदगी ,,
चार दिन की मोहब्बत तुझे तबाह कर देती है।
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लग़ज़िशे-पा से घबराइये न ज़रा,
तजुर्बों के लिये हौसला चाहिये
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वास्तविक महानता की उत्पति स्वंय पर खामोश विजय से होती है।
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अज़ीज़ इतना ही रखो कि जी संभल जाये,
अब इस कदर भी ना चाहो कि दम निकल जाये।
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समझते थे हम उनकी हर बात को।
वो हर बार हमेँ धोखा देते थे।
पर,हम भी दिल के हाथों मजबूर थे।
जो हर बार उन्हें मौका देते थे।
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