"जैसे जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है वैसे ही वाणी का अंतिम सत्य मौन है l मनुष्य की वाणी उसके व्यक्तित्व का प्रत्यक्षीकरण है l वाणी पर विवेक का नियंत्रण बहुत आवश्यक है l
हम अपने जीवन में सुंदर शब्दों के प्रयोग से मित्रों और प्रशंसकों की संख्या बढ़ा सकतेहैंl इसीलिए संत जन कहते हैं कि अगर अच्छी वाणी नहीं बोल सकते हो तो मौन रहना बेहतर है l हमारा धर्म यही है कि हम अपने कार्यो और वाणी से किसी को दुखी न करेंl"
Wednesday, 10 December 2014
Essence of speech:
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डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
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