बहुत करीब आकर उसने समझाया,
की दूर कोई कैसे जाता है.....
जिनके मिलते ही मिलती है ...ख़ुशी
ज़िन्दगी में ऐसे लोग ही कम क्यों मिला करते हैं...
परवरिश पर इतनी जल्दी उंगली नही उठानी चाहिए,
कुछ लोग संगत के कारण भी बुरे हो जाते हैं।
आत्मा हमेंशा जानती है कि
“सही" क्या है और “गलत" क्या है,
लेकिन मनुष्य के सामने चुनौती तो मन” को समझाने की होती है…
शिकायतें मुझे उससे बहुत सी हैं
पर प्रेम का पलड़ा मैंने हमेशा भारी रखा
कभी कभी व्यवहार देखकर,
आवाज दबा लेना ही ठीक होता है...
थोड़ा सा संभल कर रहो
कोई भी ख़ुशियाँ छीन कर कहेगा ….. खुश रहा करो !!!
अपनाना भी सीखो ठुकराना भी सीखो और,
जहां पर इज्जत नहीं वहां से उठ कर जाना भी सीखों।
जिनके खुद के वजूद होते हैं..
वो बिना पद के भी मजबूत होते है..!!
इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र किसी
के पहचान के मोहताज नहीं,
ये चारों अपना परिचय स्वयं देते हैं।
पंख परिंदो पर ही अच्छे लगते है,
इंसानों के निकलते ही बर्बादी शुरू हो जाती है..!!
मुस्कुराती जेबों में अक्सर गीले रुमाल मिलते हैं
हसरतें छुपाने के हुनर उनमें कमाल के मिलते हैं।
तहज़ीब, अदब और सलीका भी तो कुछ है,
झुका हुआ हर शख़्स बेचारा नही होता…
“Never wrestle with pigs. You both get dirty and the pig likes it.”
—George Bernard Shaw
त्याग वही करेंगे जहा क़द्र हो,
दोपहर मैं दिया जलाने से अंधकार नहीं वजूद खतम होता है।
काश इस गुमराह दिल को ये मालूम होता कि,
मोहब्बत उस वक्त तक ही दिलचस्प होती है
जब तक नहीं होती है।।
इतनी आसानी से आता नहीं लफ़्ज़ों से गुरेज़
आते-आते ही ख़मोशी का हुनर आता है
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