Saturday 11 December 2021

काबिल दोस्तों का होना भी शायद तक़दीर होती हे , बहुत कम लोगों के हाथ में ये लकीर होती हे ……

मैं घर में एक कमरा रखूंगा,,,

दूंगा नाम तेरा और उसे तन्हा रखूंगा_


अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी 
कितना मुश्किल है बड़े होके बड़े रहना भी 

मस्लेहत से भरी दुनिया में ये आसान नहीं 
ज़िद भी कर लेना उसी ज़िद पे अड़े रहना भी 

कुछ लोग 'मतलबी' होते है,कुछ लोग 'अजनबी' होते है......

मगर जो लोग 'निस्वार्थ' एवं 'अपने' होते है वो सिर्फ "सपने" होते है.

काबिल दोस्तों का होना भी शायद तक़दीर होती हे , बहुत कम लोगों के हाथ में ये लकीर होती हे ……

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