Monday, 31 July 2017

जीने का शोक रखिये:

एक डॉक्टर को जैसे ही एक
urgent सर्जरी के बारे में फोन करके बताया गया.

वो जितना जल्दी वहाँ आ
सकते थे आ गए.

वो तुरंत ही कपडे बदल
कर ऑपरेशन थिएटर की और बढे.

डॉक्टर को वहाँ उस लड़के के पिता दिखाई दिए
जिसका इलाज होना था.

पिता डॉक्टर को देखते ही भड़क उठे,
और चिल्लाने लगे..

"आखिर इतनी देर तक कहाँ थे आप?

क्या आपको पता नहीं है कि मेरे बच्चे की जिंदगी खतरे में है .

क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती..

आप का कोई कर्तव्य है
या नहीं ? ”

डॉक्टर ने हल्की सी मुस्कराहट के साथ कहा- “मुझे माफ़
कीजिये,
मैं हॉस्पिटल में नहीं था.
मुझे जैसे ही पता लगा,
जितनी जल्दी हो सका मैं
आ गया..

अब आप शांत हो जाइए, गुस्से से कुछ नहीं होगा”

ये सुनकर पिता का गुस्सा और चढ़ गया.

भला अपने बेटे की इस नाजुक हालत में वो शांत कैसे रह सकते थे…

उन्होंने कहा- “ऐसे समय में दूसरों
को संयम रखने का कहना बहुत आसान है.

आपको क्या पता कि मेरे मन में क्या चल रहा है....

अगर आपका बेटा इस तरह मर रहा होता तो क्या आप
इतनी देर करते..

यदि आपका बेटा मर जाए
अभी, तो आप शांत रहेगे?
कहिये..”

डॉक्टर ने स्थिति को भांपा और कहा- “किसी की मौत और
जिंदगी ईश्वर
के हाथ में है.

हम केवल उसे बचाने का प्रयास कर सकते है..

आप ईश्वर से
प्राथना कीजिये..
और मैं अन्दर जाकर ऑपरेशन करता हूँ…”

ये कहकर डॉक्टर अंदर चले गए..

करीब 3 घंटो तक ऑपरेशन चला..

लड़के के पिता भी धीरज के साथ बाहर बैठे रहे..

ऑपरेशन के बाद जैसे
ही डाक्टर बाहर निकले..

वे मुस्कुराते हुए, सीधे पिता के पास गए..

और उन्हें कहा- “ईश्वर का बहुत ही आशीर्वाद है.

आपका बेटा अब ठीक है..

अब आपको जो
भी सवाल पूछना हो पीछे आ रही नर्स से पूछ लीजियेगा..

ये कहकर वो जल्दी में चले गए..

उनके बेटे की जान बच
गयी इसके लिए वो बहुत
खुश तो हुए..

पर जैसे ही नर्स उनके पास आई..

वे बोले.. “ये कैसे डॉक्टर है..

इन्हें किस बात का गुरुर है.. इनके पास हमारे लिए
जरा भी समय नहीं है..”

तब नर्स ने उन्हें बताया..
कि ये वही डॉक्टर है जिसके
बेटे के साथ आपके बेटे का एक्सीडेँट हो गया था.....

उस दुर्घटना में इनके बेटे
की मृत्यु हो गयी..

और हमने जब उन्हें फोन किया......

तो वे उसके क्रियाकर्म कर
रहे थे…

और सब कुछ जानते हुए भी वो यहाँ आए और आपके बेटे का इलाज
किया...

नर्स की बाते सुनकर बाप की आँखो मेँ खामोस आँसू
बहने लगे

मित्रो ये होती है इन्सानियत ""

जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे मत लीजिये,

जीने का शौक भी रखिये..

Saturday, 22 July 2017

दुःख अपने अपने:

#दुःख_अपने_अपने

     एक बार एक दुखी भक्त अपने ईश्वर से शिकायत कर रहा था, "आप मेरा ख्याल नहीं रखते , मै आपका इतना बड़ा भक्त हूँ , आपकी सेवा करता हूँ , रात-दिन आपका स्मरण करता हूँ , फिर भी मेरी जिंदगी में ही सबसे ज्यादा दुःख क्यों , परेशानियों का अम्बार लगा हुआ है , एक ख़तम होती नहीं कि दूसरी मुसीबत तैयार रहती है .., दूसरो कि तो आप सुनते हो , उन्हें तो हर ख़ुशी देते हो , देखो आप ने सभी को सारे सुख दिए है ,मगर मेरे हिस्से में केवल दुःख ही दिए.....

" भगवान् उसे समझाते, "नहीं ऐसा नहीं है बेटा सबके अपने-अपने दुःख -परेशानिया है , अपने कर्मो के अनुसार हर एक को उसका फल प्राप्त होता है , यह मात्र तुम्हारी गलतफहमी है ," लेकिन नहीं, भक्त है कि सुनने को राजी ही नहीं .., आखिर रोज -रोज की चिक-चिक सुन कर , अपने इस नादान भक्त को समझा -समझा कर थक चुके भगवान् ने एक उपाय निकाला वे बोले .. "चलो ठीक है मै तुम्हे एक अवसर और देता हूँ, अपनी किस्मत बदलने का, यह देखो यहाँ पर एक बड़ा सा , पुराना पेड़ है, इस पर सभी ने अपने -अपने दुःख-दर्द और तमाम परेशानियों , तकलीफे, दरिद्रता , बीमारियाँ तनाव , चिंता ...सब एक पोटली में बाँध कर उस पेड़ पर लटका दिए है .., जिसे भी जो कुछ भी दुःख हो , वो वहा जाए और अपनी समस्त परेशानिया .....की पोटली बना कर उस पेड़ पर टांग देता है ....तुम भी ऐसा ही करो , इससे तुम्हारी समस्या का हल हो जाएगा ...

" भक्त तो खुशी के मारे उछल पडा, "धन्य है प्रभु जी आप तो ...., अभी जाता हूँ मै " तभी प्रभु बोले, " लेकिन मेरी एक छोटी सी शर्त है .. " " कैसी शर्त भगवन ?" " तुम जब अपने सारे दुखो की , परेशानियों की पोटली बना कर उस पर टांग चुके होंगे तब उस पेड़ पर पहले से लटकी हुई किसी भी पोटली को तुम्हे अपने साथ लेकर आना होगा , तुम्हारे लिए .." भक्त को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने सोचा चलो ठीक है, फिर उसने अपनी सारी समस्याओं की एक पोटली बना कर पेड़ पर टांग दी, चलो एक काम तो हो गया अब मुझे जीवन में कोई चिंता नहीं , लेकिन प्रभु जी ने कहा था की एक पोटली जाते समय साथ ले जाना .ठीक है ,कौनसी वाली लू ...ये छोटी वाली ठीक रहेगी ..., दुसरे ही क्षण उसे ख्याल आया मगर पता नहीं इसमे क्या है , चलो वो वाली ले लेता हूँ ...., अरे बाप रे मगर इसमे कोई गंभीर बिमारी निकली तो .., नहीं नहीं ..अच्छा ये वाली लेता हूँ ...मगर पता नहीं यह किसकी है और इसमे क्या - क्या दुःख है ..." बाप रे !!!....हे भगवान् इतना कन्फ्यूजन ...वो बहुत परेशान हो गया सच में " बंद मुट्ठी लाख की ..खुल गयी तो ख़ाक की .., जब तक पता नहीं है की दूसरो की पोटलियों  में क्या दुःख -परेशानियां ,चिंता मुसीबते है तब तक तो ठीक लग रहा था ...मगर यदि इनमे अपने से भी ज्यादा दुःख निकले तो हे भगवान् कहाँ हो ...

भगवान् तुरंत आ गए " क्यों क्या हुआ पसंद आये वो उठा लो ..." " नहीं प्रभु क्षमा कर दो .. नादान था जो खुद को सबसे दुखी समझ रहा था ..यहाँ तो मेरे जैसे अनगिनत है , और मुझे यह भी नहीं पता की उनका दुःख -चिंता क्या है ....मुझे खुद की परेशानियों , समस्याए कम से कम मालुम तो है ..., नहीं अब मै निराश नहीं होउंगा ...सभी के अपने -अपने दुःख है , मै भी अपनी चिंताओं -परेशानियों का साहस से मुकाबला करूंगा , उनका सामना करूंगा न की उनसे भागूंगा ..

धन्यवाद प्रभु आप जब मेरे साथ है तो हर शक्ति मेरे साथ है ...

Thursday, 6 July 2017

Life is what happens while yiu are busy:

"Life is what happens to you while you’re busy making other plans."
🌷🌹🌷
"Everything you’ve ever wanted is on the other side of fear."
🌹🌷🌹
बिना तेरे कोई आस भी न रही
इतना तरसे, के प्यास भी न रही
🌹🌷🌹
हज़ारों काम मोहब्बत में हैं मज़े के दाग़

जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं
🌷🌹🌷
मुस्कुराहट, तबस्सुम, हंसी, और कहकहे...

सब के सब खो गए, अब  हम बड़े हो गए..

🌷🌹🌷
नमक भर कर मेंरे ज़ख़्मों में तुम क्या मुस्कुराते हो

मेंरे ज़ख़्मों को देखो मुस्कुराना इस को कहते हैं
🌹🌷
हुस्न को चाँद जवानी को कँवल कहते हैं

उन की सूरत नज़र आए तो ग़ज़ल कहते हैं
🌹🌷🌹
थोड़ी तल्खी भी तबीयत में लाज़मी है,

लोग पी जाते गर समन्दर खारा नहीं होता..
🌷🌹🌷
अभी अभी कुछ गुजरा है, लापरवाह, धूल में दौड़ता हुआ

ज़रा पलट कर देखूं तो, बचपन था शायद
🌹🌷🌹

रोशनी के वास्ते:

“Worry is spiritual near-sightedness, a fumbling way of looking at little things and magnifying their value.”
🌷🌹🌷
क्या बताएँ हम कि साहब रौशनी के वास्ते
घर जलाया ख़ुद जले हैं, तीरगी जाती नहीं

हाथ उसके भी यक़ीनन हुए होंगे ज़ख्मी।।।
जिसने कांटे मेरी राहों में बिछाये होंगे।।।।"
🌹🌷🌹
बुझा के रख दे ये कोशिश बहुत हवा की थी

मगर चराग़ में कुछ रौशनी अना की थी
🌷🌹🌷

Tuesday, 4 July 2017

चोरी का माल:

बासमती चावल बेचने वाले एक सेठ की स्टेशन मास्टर से साँठ-गाँठ हो गयी। सेठ को आधी कीमत पर बासमती चावल मिलने लगा ।

सेठ ने सोचा कि इतना पाप हो रहा है , तो कुछ धर्म-कर्म भी करना चाहिए।

एक दिन उसने बासमती चावल की खीर बनवायी और किसी साधु बाबा को आमंत्रित कर भोजनप्रसाद लेने के लिए प्रार्थना की।

साधु बाबा ने बासमती चावल की खीर खायी।

दोपहर का समय था । सेठ ने कहाः "महाराज ! अभी आराम कीजिए । थोड़ी धूप कम हो जाय फिर पधारियेगा।

साधु बाबा ने बात स्वीकार कर ली।

सेठ ने 100-100 रूपये वाली 10 लाख जितनी रकम की गड्डियाँ उसी कमरे में चादर से ढँककर रख दी।

साधु बाबा आराम करने लगे।

खीर थोड़ी हजम हुई । साधु बाबा के मन में हुआ कि इतनी सारी गड्डियाँ पड़ी हैं, एक-दो उठाकर झोले में रख लूँ तो किसको पता चलेगा ?

साधु बाबा ने एक गड्डी उठाकर रख ली।

शाम हुई तो सेठ को आशीर्वाद देकर चल पड़े।

सेठ दूसरे दिन रूपये गिनने बैठा तो 1 गड्डी (दस हजार रुपये) कम निकली।

सेठ ने सोचा कि महात्मा तो भगवतपुरुष थे, वे क्यों लेंगे.?

नौकरों की धुलाई-पिटाई चालू हो गयी। ऐसा करते-करते दोपहर हो गयी।

इतने में साधु बाबा आ पहुँचे तथा अपने झोले में से गड्डी निकाल कर सेठ को देते हुए बोलेः "नौकरों को मत पीटना, गड्डी मैं ले गया था।"

सेठ ने कहाः "महाराज ! आप क्यों लेंगे ? जब यहाँ नौकरों से पूछताछ शुरु हुई तब कोई भय के मारे आपको दे गया होगा । और आप नौकर को बचाने के उद्देश्य से ही वापस करने आये हैं क्योंकि साधु तो दयालु होते है।"

साधुः "यह दयालुता नहीं है । मैं सचमुच में तुम्हारी गड्डी चुराकर ले गया था।

साधु ने कहा सेठ ....तुम सच बताओ कि तुम कल खीर किसकी और किसलिए बनायी थी ?"

सेठ ने सारी बात बता दी कि स्टेशन मास्टर से चोरी के चावल खरीदता हूँ, उसी चावल की खीर थी।

साधु बाबाः "चोरी के चावल की खीर थी इसलिए उसने मेरे मन में भी चोरी का भाव उत्पन्न कर दिया। सुबह जब पेट खाली हुआ, तेरी खीर का सफाया हो गया तब मेरी बुद्धि शुद्ध हुई कि
'हे राम.... यह क्या हो गया ?

मेरे कारण बेचारे नौकरों पर न जाने क्या बीत रही होगी । इसलिए तेरे पैसे लौटाने आ गया ।

"इसीलिए कहते हैं कि....

*जैसा खाओ अन्न ... वैसा होवे मन।*
_जैसा पीओ पानी .... वैसी होवे वाणी ।_
_जैसी शुद्धी.... वैसी        बुद्धी.... ।_
*जैसे विचार ... वैसा संसार।*

Sunday, 2 July 2017

Conectarte on your own priorities:

A boy went to the Principal  and said "Madam, I won't be coming to School anymore.”
The Principal  responded “But why?”
The boy said “Ah! I saw a teacher speaking bad of another teacher;  You have a Sir who can't read well; the staff  is  not good; Students  look down upon  their fellow students and there are  so many other  wrong things happening in the Schooĺ”
The Principal  replied “OK. But before you go, do me a favor: Take a  glass full of water and walk three times around the School without spilling a drop on the floor. Afterwards, leave the School  if you desire.”
The boy thought : Now that's too easy!
And he walked three times around as the Principal  had asked. When he finished, he told the Principal  he was ready.
The Principal asked “When you were walking around the School , did you see a Teacher speaking bad about another Teacher?”
The youth replied “no.”
“did you see any Student  looking at other students in wrong way ?”
“No”
“You know why?”
“No”
“You were focused on the glass, to make sure you didn't tilt it and spill any water. It's the same with our life. When our focus is on our priorities , we don't have time to see the mistakes of others.”

*Moral of the story:*
We should concentrate on our priorities and not on others' mistakes.

Saturday, 1 July 2017

Beautiful messages:

What a beautiful message...!
A young girl and her father were walking along a forest path.
At some point, they came across a large tree branch on the ground in front of them.
The girl asked her father, “If I try, do you think I could move that branch?”
Her father replied, “I am sure you can, if you use all your strength.”
The girl tried her best to lift or push the branch, but she was not strong enough and she couldn't move it.
She said, with disappointment, “You were wrong, dad. I can't move it.”
“Try again with all your strength,” replied her father.
Again, the girl tried hard to push the branch. She struggled but it did not move.
“Dad, I cannot do it,” said the girl.
Finally her father said, “Young lady, I advised you to use 'all your strength'. You didn’t ask for my help.
~~~
*_Moral :_*
*Our real strength lies not in independence, but in interdependence.*
*No individual person has all the strengths, all the resources and all the stamina required for the complete blossoming of their vision.*
*To ask for help and support when we need it is not a sign of weakness, it is a sign of wisdom.*

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...